Wednesday, September 8, 2010

मैं जात पात में, उंच नीच में , और फिकरो में बटी हुई...
जो धुंधला दे सच्चाई को दिल ऐसी गर्द से अटी हुई....
शिकवा नहीं जिस्म की माटी से , पर रूह भी अब बेताब नहीं....
तेरे हुक्म पे चलना एक तरफ , तेरा नाम भी लेना याद नहीं.......