Monday, April 29, 2013

प्रेम की परिभाषा

लड़का : सुख क्या है? शांति किसे कहती हो? और प्यार की परिभाषा क्या है?

लड़की : सब कुछ परिभाषा के दायरे में नहीं.....!

लड़का : जानती हो. मैंने इन सब को समझने के लिए कई किताबें घोट डाली... धर्म शास्त्र से ले कर काम शास्त्र तक.. मंदिर से वेश्यालय तक का सफर किया...शराब की बोतलें औरतों का बदन मुझे इन तक नहीं पहुंचा पाया..मेरा जीवन खत्म होने जा रहा है और अब तक सुख शांति प्रेम को ना समझ सका.. तुम समझा सकोगी? क्यों कि मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने  तुम रखती हो भले ही ये दो दिन की पहचान है.... मदद करो!

लड़की: ...............................

लड़का: देखो............!

लड़की :ये क्या है? फिर से ...................... उफ्फ्फ ????????

लड़का :छोड़ नहीं पा रहा........ सुनो... देखो.... महसूस करो...

'आह... मीलों तक बर्फ ही बर्फ...उस पर चन्द्रमा की किरने...रात बढ़ रही है सब सो रहे हैं.... पेड़ पौधे नदी नाले... सब.. मैं.. तुम....आह!
देखो... सीमाहीन समुद्र... लहर पे लहेर डूबती लहरों की चीख के अलावा कुछ नहीं...
सुनो रात झुक रही है, ज़मीं शांत हो रही है... सिर्फ एक आवाज़ दूर से आ रही है.. तुम्हारा नाम!!
उफ्फ्फ....... '
मेरी मुहब्बत डूब गयी फिर से............ !!
अब सब खामोश हैं.... सब कुछ ... वक्त की धडकन बंद हो गयी फिर से.....!

- कल कोई और पूछेगा प्रेम की परिभाषा... पर उत्तर...........