Friday, December 25, 2015

Simply checking

http://www.apsa.org/content/psychoanalytic-theory-approaches

Friday, December 18, 2015

दिलवाले

अपार्ट फ्रॉम पॉलिटिक्स , रिलीजन, टॉलरेंस, इन्टोलरेंस, देशभक्ति, देशद्रोह etc etc...
कलाकार पहले कलाकार हैं....
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मुझे याद है स्कूल के दिन जब दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फ़िल्म आई थी। शाहरुख़ काजोल की जोड़ी और एक्टिंग superb थी। सिनेमा हॉल में पेन की कैप से सीटी बजाना भी याद है। शायद उस टीनएज में हर लड़का शाहरुख़ और हर लड़की खुद को काजोल समझते थे। ब्लॉकबस्टर फ़िल्म रही थी। आप सबने देखा और सराहा है।
अमिताभ-रेखा, राजेश खन्ना-मुमताज़ के बाद सुपर हिट जोड़ी यही थी मेरे लिए। है भी।
मैं कैसे पसंद बदल दूं अपनी?????
और सिर्फ शाहरुख़ ही तो नहीं फ़िल्म में? काजोल भी है।
यार जिन्हें देखना हों देखें न देखना हो न देखें। अब ऐसा थोड़ी है कि बॉयकॉट करने से आप देशभक्त हो जायेंगे और देखने से देशद्रोही। ये पैमाने कब तैयार हो गए देशभक्ति के??
थोडा शांत चित्त होकर सोचिये। फिल्मों के शौक़ीन फ़िल्मे देखेंगे ही। समर्थन और आलोचनाएं भी होंगी। फ़िल्म कमाई भी करेगी वो भी रिकॉर्ड तोड़। आप जितना विरोध करेंगे दिलचस्पी उतनी बढ़ेगी। याद रखिये - 'वर्जनाएं लुभाती हैं......'

मैं देखूंगी फ़िल्म। क्या आप चलेंगे...???