Tuesday, December 20, 2016

कुपोषण

"भारत मे हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है..." जी हाँ ऐसा एक विज्ञापन मे आमिर खान कहते हैं.

हम एक ऐसे युग से गुजर रहे हैं, जहां बड़ी-बड़ी समस्याएं ग्लैमर की चकाचौंध में छिप जाती हैं। जैसे कुपोषण। हम जब जीडीपी ग्रोथ की बात करते हैं, तब यह भूल जाते हैं कि जिन बच्चों पर देश का भविष्य टिका है, अगर उनकी प्रॉडक्टिविटी ही कम रहेगी, तो यह एक बड़ी समस्या है। और कड़वा सच यह है कि आज देश का हर दूसरा बच्चा इससे ग्रस्त है।

हम्म ....ये हो गयी भाषणबाजी टाइप बात. इसी बात पे  एक मजेदार बात कहती हूँ आपसे| मेरे हसबंड की कजिन आठ वर्षीय प्यारी सी समृद्धी ने अचानक एक दिन मुझसे कहा, 'भाभी , मैं कुपोषण की शिकार हूँ, और लोग मुझ पर ध्यान नहीं देते.."
मैं बोली, "किसने कहा तुमसे...?"
उसने कहा , "टी. वी. नहीं देखते.. आमिर खान कहता है कि हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है.. और मैं दूसरी बेटी हूँ "
जी हाँ, वो दूसरी संतान है अपने माँ-बाप की. और उसने ऐसे ही  इस विज्ञापन का अर्थ लगाया.
मैंने कई तरह से समझाने  की  कोशिश की. पर वह कहती रह गयी, 'नहीं.. नहीं.. नहीं.. आप सब मुझे बहलाने  की कोशिश करते हैं बस्स.....'
खूब हंसी  आई थी उसकी मासूमियत पर.... :) :)

मुझ बताइए कैसे उसे समझाया  जाए...?

- कुपोषण, भारत छोड़ो का नारा हम बाद मे लगा लेंगे... !

Sunday, December 11, 2016

लफ़्ज़ों के दीवार

मैं - कौन कहता है मैं बोलती बहोत हूँ? मैं तो बस लफ़्ज़ों के दीवार बनाती हूँ के तुम मुझ तक न पंहुच सको....!

वो- कौन कहता है के तुम बोल कर लफ़्ज़ों के दीवार बनाती हो? तुम बोलते हुए कई दीवारों में दरवाज़े खोल जाती हो....!

Thursday, November 24, 2016

संस्मरण/बचपन

तरह तरह के दोस्त होते हैं लाइफ के हरेक स्टेज में। स्कूल के, मोहल्ले के, कॉलेज के, वर्चुअल etc.
मुझे भी खूब सारे फ्रेंड्स मिले और लगभग सबके साथ वैसा ही रिलेशन कायम है जैसा पहले था।
मेरी मोहल्ले की एक सहेली थी। हम अलग अलग स्कूल में थे तो शाम को खेल के मैदान में ही मुलाक़ात होती थी। गजब कॉम्पिटिटिव लड़की थी वो... बचपन की उस छोटी उम्र में ही अजीब सी प्रतिस्पर्धा भर गयी थी उसके मन में, खास कर मुझसे और मेरी एक और सहेली से। जैसे गेम्स में हम किस ग्रुप में हैं, उसे उसी ग्रुप में जाना है। लूडो में कौन से कलर की गोटी हमने सेलेक्ट की उसे वही चाहिए वरना वो वहां से चली जाती थी या रोने लगती थी। मेरी एक और सहेली जो थी वो अपने पेरेंट्स के ट्रान्सफर होने से शहर छोड़ कर चली गयी। बची मैं... वो.. कुछ लड़के और हमसे जूनियर बच्चे। अब कम्पटीशन की 1st पोजीशन पे मैं थी। मैंने अगर लाल फ्रॉक पहना है तो वो भी अपने डैड से लाल मंगवाती, भले ही अंकल नीली फ्राक पहले से ला चुके हों।

'दरअसल हम कॉपी उसकी करना चाहते हैं जिसे आदर्श मानते हैं या फिर ईर्ष्यावश प्रतिस्पर्धा में अड़ जाते हैं कि जैसे भी हो मुझे उससे सुपीरियर दिखना है...।'

धीरे धीरे हम स्कूल से निकल कॉलेज में आए, मैंने लाइफ साइंस चुना। अब मैंने ये सब्जेक्ट लिया था तो उसे भी लेना ही था जबकि उसकी मैथमेटिक्स कमाल की थी। उसके घरवालों ने कहा भी मैथ्स ले लो, हम सब फ्रेंड्स ने भी समझाया। पर उसका जवाब था कि' " तुमलोग मुझे सक्सेसफुल नहीं देखना चाहते हो..." अब बात खत्म.... खैर आगे समय चलता ही जा रहा था, उसके और मेरे मोबाइल कांटेक्ट लिस्ट में same फ्रेंड्स थे। जो मेरे वो उसके। प्यार इत्ता था के जो मुझे अच्छे नही लगते वो उसे भी नही लगते थे... मेरी हर पसंद अब उसकी पसन्द बन चुकी थी वो खाने का टेस्ट हो या रंगों का चुनाव या मेरे बोले जाने वाले तकिया कलाम, phrase, डायलॉग्स यहाँ तक की हाव भाव भी.... 😂

कॉलेज के फाइनल इयर में समोसे खाते हुए एक दिन दोस्तों ने शादी/लव/अफेयर्स और मनपसंद लाइफ पार्टनर्स पे गर्मा गर्म टॉपिक छेड़ी थी। कोई अपने क्रश की बात करता कोई शरमाते हुए छुपा रहा था, कइयों की शादी की बात फाइनल हो रही थी  और कुछ लोग अपने क्लास फेलो से ही इम्प्रेस थे। सबकी कहते सुनते ठहाके लगाते फाइनली मैंने कहा, 'मैं तो शादी करने जा रही अमिताभ से... बाकी तुमलोग अपनी बताते रहना...'
इस पर मेरी सहेली ने कहा, ' तू अमिताभ से कर मैं एक बार try करुँगी फिक्स नहीं हुआ तो सलमान से करुँगी फिर, मुझे भी बॉलीवुड स्टार ही चाहिए..'
मैंने कहा, ' येड़ी है क्या बे, मैं बच्चन से नहीं Amitabh Mishra से शादी करने जा रही। मेरी सगाई भी तय हुई है अगले हफ्ते.....'😂😂😂😂
फिर कैंटीन में जो ठहाके गूंजे थे उसकी खनक कभी कम तो नही होगी, पर सहेली का इस बात पर उदास होना अच्छा मुझे नही लगा था।
खैर समय फिर भी चल रहा..... चलता रहेगा आगे आगे और हम पीछे की स्मृतियों के साथ फ्लैशबैक में कभी कभी ....

ऐसे ही छोटे छोटे तमाम किस्से हैं, मैं शेयर करती रहूंगी।

Tuesday, November 22, 2016

खाकी वर्दी के किस्से

रिटायर्ड फौजी और पुलिस अफसर किस्सों को दिलचस्प तरीके से सुनाने में पारंगत होते हैं।  मोस्टली ' कई साल पहले जब मैं फलाने जगह पर पोस्टेड था....' की लाइन से शुरू होने वाले किस्से आपको बाँध ही लेते हैं। ऐसा ही एक वाक़या मैं शेयर करती हूँ एक बुज़ुर्ग पुलिस अफसर जो अपने कई साल सीनियर अफसर का किस्सा सुनाया करते थे। मैं शायद उस अंदाज़ में न सुना पाऊं पर पढ़ियेगा ज़रूर, थोड़ा लम्बा हो सकता है।

'.... उस वक़्त आज़मगढ़ में दो विरोधी सांप्रदायिक जुलूसों को 144 ज़ाब्ता फ़ौजदारी लगाये बिना उन अफसर ने अपना कमाल दिखाया था।
आप पाबन्दी लगाएंगे तो हम उल्लंघन करेंगे, ऐसा दोनों पक्ष ने स्पष्ट कर दिया था। ज़ाहिर था जुलुस निकले तो सांप्रदायिक झगड़ा हो कर रहेगा। इसलिए एक दिन पहले वे दिन दहाड़े कई छोटी बड़ी गाड़ियां और तमाम फ़ौज- फाटा लेकर जुलुस के रास्ते पर एक बाज़ार में पहुँचे और लगे फीतों से नाप-जोख करवाने। खुले आम अपने अफसरों से राय -मश्विरा भी करने लगे के यहाँ से गोली चली तो कहाँ तक जायेगी और वहां से चली तब कहाँ तक पंहुचेगी।
फिर उसी ताम-झाम के साथ सिविल हॉस्पिटल गए और सर्जन को बाहर बुला कर घोषणा की कि कल के लिए कोई सौ एक एक्स्ट्रा बेड्स क इंतेज़ाम कर लें क्योंकि दोनों जुलुस निकलेंगे और पुलिस तो गोली चलाएगी ही....!
नतीजा, बाज़ार  तो उसी वक़्त बन्द हुआ और अगले दिन भी बन्द रहा। एक भी जुलुस नही निकला...।'

पुलिसिया सूझ बुझ का ये छोटा सा किस्सा काफी शार्ट एंड सेंसर कर के यहाँ पोस्ट किया है तो बातों की वो खुशबु थोड़ी कम आएगी।
इसी तरह कठिन परिस्थितियों में काबू पाने के अनेक किस्से मैंने सुने हैं। शायद शेयर भी करूँ, पर उनकी ज़ुबानी के बिना वो मिर्च मसाला थोडा स्टोरी को बेस्वाद रखेंगे लेकिन बेफायदा नहीं।

- एक सल्यूट खाकी वर्दी को!!💐👲

Thursday, November 17, 2016

बिना अच्छा इंसान हुए अच्छा खद्दर वाला/टोपीवाला/खाकीवाला/सफारीवाला (या कोई भी वाला) होने की उम्मीद करना वृथा है।
एक रूपक का प्रयोग करने की अनुज्ञा मिले तो ऐसा कह सकते हैं कि कार्य कुशलता की धरती में जड़ें * हों और आकाश में फैली शाखाएं** , तभी कोई व्यक्ति विटप हरा भरा, स्वस्थ -सबल रह कर समाज वन के विकास में अपना योगदान कर सकता है। मात्र कार्यकुशलता पर आधारित एकांगी विकास भले थोड़ी देर 'ठीकठाक' होता दिख सकता है लेकिन देखते देखते या  मुरझाने या तो विकृत होने लगता है।
अपने इर्द गिर्द ऐसे कई उदाहरण देख सकते हैं। वृत्ति कौशल्य और मानवीय चारित्रिक गुणों के मिले जुले विकास के दृष्टांत अपेक्षाकृत कम मिलते हैं पर ज़रूर मिलते हैं।
इन दोनों में से किसको अपना अनुकरणीय/अनुसरणीय/आदर्श माना जाए इसके बारे में कोई शक शुबहा नहीं।
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* साधन सम्पन्नता के खाद पानी से पोषित।
** मानवीय हवा धूप का सेवन करती हुई।

But man, proud man!
dressed in a little brief authority...
most ignorant of what he's most assured,
the glassy essence, - like an angry ape!
plays some fantastic tricks
before high heaven,
as make the angels weep!

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" परन्तु इंसान, दंभ से भरा इंसान!
मामूली से अधिकार का जामा पहने
अपने को सर्वज्ञानी समझता है!
वास्तव में .....
जानता कुछ नहीं है!
मंदमति इंसान!..
गुस्से में मतवाले बन्दर की भांति,
ऐसी कलाबाजियां मरता फिरता है कि ,
उन्हें देखकर फरिश्तों को भी रोना आता है...!!!"

Monday, November 7, 2016

रेखा- इश्क़ की अधूरी दास्ताँ

..... इसके आगे की अब दास्तां मुझसे सुन,
..... सुन के तेरी नज़र डबडबा जायेगी...
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आगे की दास्ताँ क्या सुनियेगा...? कुछ कहानियाँ अपने अधूरेपन में ही चार्म लिए होती हैं.... पता नहीं पूरा करने में क्या क्या खोना पड़ जाता है क़िस्मत को.....😊
... कुछ ऐसी ही इनकी कहानी शुरू हुई और एक रहस्य बन गया ....
...पूरे चाँद  की रात जब सारी घरती को भिगो रही थी तब इनकी आँखों की सीप में इक चेहरा मोती बन कर क़ैद हो गया कभी न आज़ाद होने के लिए...
निगाहों के पहरे कसे और जज़्बातों की गिरफ्त ढीली पड़ गयी....
और.... और.... जब रिवाज़ ख़ामोशी ओढ़ते हैं तब आँखों की खामोशियाँ चाहत की ज़मीन तलाशती हैं....

".... एक बादल उधर से चला झूम के
   देखते देखते चाँद पर छ गया
चाँद भी खो गया उसकी आग़ोश में
उफ़ ये क्या हो गया जोश ही जोश में..... "

- हाँ ऐसे ही इश्क़ बादल बन कर आया और बरस कर चला गया ...... लेकिन चाँद का क्या?
अरे! मैं बकवास करने में बड्डे विश करना भूल गयी... 😂😂😂
हैप्पी वाला बड्डे रेखा जी...💐💐💐🎂🎂

#मोहब्बत #की #अधूरी #दास्ताँ #रेखा...

Friday, November 4, 2016

दशहरा

नमस्कार दोस्तों,
आपकी मर्ज़ी आप दशहरा कैसे भी मनाएं.... राम- राम करें या जय दुर्गे... या रावण के गुणों की बखान.... पर उत्सव को उत्सव रहने दें।
ज्ञान के अखाड़े तो रोज़ ही खुले हैं... कुश्तियां होती रहेंगी।

मैं इस बार सेलिब्रेट नही कर रही.... दोनों पैर में चोट है भयंकर वाले दर्द के साथ 😢😢 .. डांडिया, गरबा, दौड़भाग सब ठप्प। तकलीफें हम फॅमिली -फ्रेंड्स और उत्सवों के बीच भूल जाते हैं.... दर्द के साथ स्पेशल भी फील होता है जब कोई केअर करता है। थैंक्यू सबको  साथ बने रहने के लिए 😊😊!  लेकिन.....
मज़ेदार बात ये के मैंने एक दोस्त को अपनी स्थिति बताई तो उसने बजाए हाल चाल पूछने या ' टेक केअर' टाइप बात कहने के उसने तो बात करनी और रिप्लाई करना ही छोड़ दिया। जैसे मैं उसे बुला कर घर के काम करवाउंगी या उसके दोनों पैर मांग लूँगी... 😂😂😂 । ऐसा भी होता है.... थैंकयू उसको भी मुझे बहुत कुछ सिखाने के लिए।

बस यही है अपने अंदर की हार- जीत.... खुद ही फील करना है आप हारे या विजयी हुए..... इतना ही विजयदशमी सार्थक है।

उम्म्म... देखिये बकवास में फिर विश करना भूल गयी...
हैप्पी वाला दशहरा आप सब को... सुख शांति, समृद्धि से भरपूर हो हर दिन... 😊😊😊😊👍👍💐💐

Thursday, November 3, 2016

Quality love

मैं और मेरी फ्रेंड बच्चों को स्कूल से लेने गए तभी एक बच्ची ने अपनी एक क्लासमेट को दिखाते हुए मेरी फ्रेंड से कहा, " Aunty Your son loves her n want to marry her but she loves another boy who is taller and fairer than ur son..... n second thing that boy brings nice lunch also, not like your son's boring tiffin....."
मुझे  आश्चर्य हुआ और खूब हंसी भी आई, उसके  Sentence पर और बोलने के शिकायती मासूम तरीके पर। ये 6 - 7 साल के छोटे बच्चे भी लव etc समझने और जताने लगे हैं। हमने थोड़ी देर उससे बातचीत करके उसे समझाया और आश्वस्त किया कि तुम्हारी फ्रेंड जैसा चाहती है वैसा ही होगा, और नेक्स्ट टाइम से हम भी बच्चों को complan पिलाएंगे ताकि वे भी tall हो सकें, फेयर होने के लिए फेयर & लवली भी लगाएंगे, और बोरिंग टिफ़िन भी नहीं देंगे। भई बनते बिगड़ते रिश्तों का सवाल है। बच्ची खुश होकर चली गयी प्यार से बाय बाय भी किया।
घर आकर मैं सोच में पड़ गयी कि उम्र के हरेक पड़ाव पर होने वाला इश्क़ सच में " क्वालिटी" की डिमांड करता है। ऑप्शन बेटर हो तभी दिल ठहरता है।  हरेक केस में तो नहीं पर 99% केस में यही होता है कि आकर्षण ही पहला स्टेप है किसी के प्रेम में होने का। अट्रैक्शन लुक से लेकर  बोलने बतियाने की कला, या फिर व्यक्ति की कोई खूबी ही... कुछ भी हो सकता है।
हाँ दिल ठहरा है तो वहां से उठ कर आगे भी बढ़ जाता है। यही नेचुरल भी है, आकर्षण और रिश्तों की अपनी मियाद होती है, एक उम्र होती है। सबसे बड़ी बात हमारे बनाये फ्रेम में हर कोई फिट नहीं होता। ठोंक पीट के हम कर भी लें तो एक दिन या तो फ्रेम टूटेगा या फिर तस्वीर गिरेगी।

(रूहानी इश्क़ या  शिद्दत से निभाया प्रेम बाकी बचे 1% में आता है..जहाँ शायद आकर्षण गौण होता हो।)

Sunday, September 25, 2016

पाकिस्तान पर हमला

प्रिय मोदी जी,

मैं कहूँगी कि इंडिया के सारे 'इकतरफा आशिक़ों' से पाकिस्तान पर हमला करवा दीजिये। बहुत आग (बदले की) और गर्मी होती है इनके अंदर। रोज़ ये कई चेहरों पर तेज़ाब फेंकेंगे, ब्लैकमेल करेंगे और जीना इतना हराम कर देंगे के सामने वाला आत्महत्या तक कर लेगा।
युद्ध की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
थोडा कहा, ज़्यादा समझियेगा साहेब! 😢

- आपकी ... ना.. ना... अपने- आप की
रश्मि...✌

Wednesday, September 14, 2016

हिंदी

भारत में दो प्रकार की शिक्षा व्यवस्था है। एक अमीरों की जो अंग्रेज़ी माध्यम से है, दूसरी गरीबों की जो हिंदी माध्यम और अन्य भारतीय भाषाओँ में है।
चूँकि अंग्रेज़ी अमीर वर्ग से ताल्लुक रखे है सो इसकी दादागिरी चलती है और हिंदी बोलने लिखने वाले इनसे पिछड़े और हीन माने जाते हैं।

Tuesday, September 13, 2016

हिंदुस्तान

तरक्की/कैरियर के नाम पर भाग रहे हो तुम अमरीका,
कोई झंडे गाड़ कर आ रहा यूरोप में...
चकित हूँ...!
पूछती हूँ तुम सबसे,
हिन्द को लेकर क्यों भाग रहे हिंदुस्तान से....?

#हिन्दीदिवस

Saturday, September 10, 2016

अगर मुझसे मोहब्बत है

ह्म्म्म.......... आपकी शिकायत शुरू होती है  'अगर मुझसे प्रेम है ...' के वाक्य से...तो समझ ही जाओ कि आपके प्रेम की परिभाषा ही है एक दूजे को कैद करना...मानो अपनी प्रोपर्टी समझ बैठें हैं... आप् कहो ना कहो पर आपका अर्थ ही यही होता हैकि ,'भूलना नहीं अब तुम व्यक्ति नहीं मेरी पत्नी/पति या प्रेमी/प्रेमिका हो...'
लो जी , प्रेम के नाम पर ब्लैकमेल....! और बात बढ़ -बढ़ के प्यार का गला घोंट डालती है..................(वाह जी वाह....... खूब)

सुनो .... कन्फ्यूशियस अंकल ने बताया था मुझे कि किसी को प्यार करने का अर्थ है यह चाहना कि वह भरपूर जिंदगी जिए......
"आई बात समझ में...."

Monday, September 5, 2016

टीचर्स डे

टीचर्स डे पर मैं ज़रा पीछे जाकर अपने पहले टीचर का एक्सपीरियंस बताती हूँ। जो शायद मैं कभी भूल न पाऊं।
उन दिनों मेरे एडमिशन की तैयारी चल रही थी, मेरी उम्र तीन से थोड़ी कम थी....।
जॉइंट फॅमिली में अन्य बच्चों को पढ़ाने मास्टर साब आते थे। उनसे यही रिक्वेस्ट की गयी थी कि मुझे स्कूल के जेनेरल मैनर्स और अल्फाबेट्स आदि सिखा दिए जाएँ, हफ्ते भर बाद स्कूल शुरू करना था। सो मास्साब ने अंग्रेजी की छोटी छोटी चीज़ें और 'रिक्वेस्ट मेकिंग' आदि सिखाईं।
उस दिन भी मास्टर साब बुआ को अंग्रेज़ी पढ़ा रहे थे, उनका एग्जाम था सो मेरे ऊपर ध्यान कम था। मैं बोर होकर उनसे बोली, 'सर में आई गो टू ड्रिंक वाटर...'?
किताब में ही सिर झुकाए मास्साब ने कहा, " गो, बट कम सून..."
"गो" तो मेरी समझ में आ गया पर "कम सून" पल्ले नहीं पड़ा।
मैने घर में सुना था के मास्साब को हियरिंग प्रॉब्लम है, तो मैंने ' कम सून' का मतलब यही निकाला, कि सर कम सुनते हैं इसलिए उन्होंने मुझे दुबारा कहने को कहा है।
मन ही मन मैंने उनकी प्रॉब्लम को समझ कर वहीँ कुर्सी पे खड़ी हुई और अपना मुंह उनकी कान में ले जाकर चिल्लाई, ' पानी पीने जाएँ, सर...'
इसके बाद मास्साब ने मेरी गर्दन पकड़ के इतने झापड़ दिए कि उसके झन्नाटे अब तक महसूस करती हूँ।

-मास्साब कई साल पहले हार्ट अटैक से गुज़र चुके, फिर भी वो कहीं न कहीं ब्रह्माण्ड में होंगे ही....  उनको नमन और हैप्पी टीचर्स डे सर....!💐

Friday, September 2, 2016

शादी

मोहब्बत की कोई मंज़िल नहीं होती। इश्क़ खुद में एक अंतहीन सफ़र है। ऐसा सफ़र जिसमे दो लोग साथ मिलकर चलते है.... लेकिन जो कहते हैं के शादी इस सफ़र  का अंत है वो गलत कहते हैं।
सुनिए, शादी कोई सफ़र की मंज़िल या अंत नहीं, यह तो वो पड़ाव है जहाँ हम कुछ पल के लिए तब तक ठहरते हैं जब हमे लगता है कि यह वही साथी है जिसके साथ हमे यह सफ़र तय करते हुए ख़त्म भी करना है....!
यानी ताउम्र दो व्यक्तियों का एक होना......

( लिस्ट के उन सभी  खूबसूरत जोड़ों के लिए जो एक दूजे का हाथ थामे इस सफ़र पे हैं... और जो सफ़र की शुरुआत करने  जा रहे उन्हें मेरी शुभकामनायें और प्यार...)

Wednesday, August 31, 2016

शरीर और शरीर के सारे दुःख -दर्द
तुम्हारे लिए मात्र 'मेडिकल' और 'क्लीनिकल'
प्रश्न हो गए हैं.....
पर मेरे लिए..........?
".....मेरे लिए... चुकते जाना है.....
क्षण-क्षण कुंठित होना और तिल-तिल
मरने को जीना..................."

Tuesday, August 30, 2016

जिंदगी

जिंदगी एक चिट्ठी से दूसरी चिट्ठी तक का इन्तेज़ार भी हो सकती है...!

(कभी-कभी किसी के लिए......)

तुमसा ही

कुछ तुमसा ही था वो बातों में- शरारत में..
और तुमसे ही मिलता था दस्तूर-ए-मुहब्बत में....

पर्सनालिटी

पद , प्रतिष्ठा, पैसा, पॉवर,  इंसान की पर्सनालिटी बदल देते हैं।
पर सिर्फ "पर्सनालिटी" से बाकी चार चीज़ें इंसान कम ही बना पता है।
सो ब्यूटी पैजेंट जीतने के लिए भी 'ब्यूटी विद ब्रेन ' होना ज़रूरी है।
(इसलिए भगवन ने सबसे ऊपर खोपड़िया बनायीं है कि ब्रेन की देख रेख और साज सज्जा में तवज्जो दो... बाकी मर्ज़ी आपकी ..... जय राम जी की!)

Monday, August 29, 2016

चाँद

.....आज रात चाँद फूट- फूट के रोएगा,
देखना सुबह भीगी पत्तियाँ, भीगे फूल और नम कलियाँ.....

Saturday, August 27, 2016

Valentine day

अपने अपने ज़माने में , मतलब स्कूल कॉलेज टाइम में सब बड़े आशिक , मजनूं, लैला , राँझा , हीर होते थे। उम्र हो जाने पे जब अंकल आंटी टाइप सोच हो गयी तो लगे सब संस्कारी फील करने।
अरे, मनाने दीजिये न वैलेंटाइन डे उनको जो मनाना चाहते हैं। क्या हो जाता है आपको के अचानक मातृ -पितृ पूजन दिवस , ईश्वर भक्ति , इंडियन कल्चर इत्यादि ज़ोर मारने लगता है। प्रेम दिवस ही तो है, कौन सा एनेमी डे मना रहे...? हर दिन ईश्वर भक्ति कीजिये , मात पिता का पूजन कीजिये और संस्कार को भी जीवित रखिये।
चूंकि इंडिया में इज़हारे इश्क़ वर्जित विषय रहा है और वर्जनाएं सदा लुभाती आयीं हैं।
बेहूदी सामाजिक रूढ़ियों को अक्सर नए लहू ने बदला है और बदलते आएंगे। मनाइये बेख़ौफ़ जश्ने मुहब्ब्त शायद बदलाव की हमे ज़रुरत है।
-जब रिवाज़ों के बंधन टूटेंगे तभी इश्क़ की दास्ताने लिखी जाएंगी...!

मुबारक आपको ,मुझको, सबको।

Tuesday, August 23, 2016

हस्तक्षेप

किसी के किये में हस्तक्षेप करना ही है, तो इस तरह कीजिये कि बाधाएं दूर हों और कोई सार्थक हल निकले।
एक सरलीकृत निष्कर्ष, कोई नीतिगत विकल्प ढूंढा जाना चाहिए। कट्टर और असहिष्णु होने से रस्ते बंद हो जाते हैं।

(जिन्हें इनकी ज़रूरत हो...)

बीमारी कब्जियत की

सुनो जी एक मज़ेदार कहानी.... एक आदमी को बिमारी हो गयी थी कब्जियत की..... महा बीमारी.....! २ महीने बीत गए और मल-विसर्जन नहीं हुआ था... डॉक्टर हैरान परेशान .. सारी दवाइयां  फेल!! इतने में  खबर आई कि जर्मनी में एक दवा बनी है जो इन्हें ठीक कर दे... दवाई मंगाई गयी... चिकित्सकों ने सोचा 'ये कोई साधारण आदमी तो हैं नहीं  ... इस ने दो महीने से साधा  हुआ है... संयमी.. महायोगी!!! तो इसे पूरी बोतल पिला दो....'
तीसरे दिन डॉक्टर उसके घर गए देखने को कि असर हुआ या नहीं..... पता चला आदमी मर गया और मल -विसर्जन जारी है...!लोग अर्थी सजाये बैठे हैं और वो संडास में बैठा है.....!

हाँ तो.... हमारे नेता लोग भी  कुछ ऐसे ही हैं..... ७० ..८०.. साल क होगये हैं अभी भी जमे हैं दिल्ली में... दम खम तो कब का मर चुका है.. पर मल -विसर्जन रुक नहीं रहा.....! दौड जारी  है.... कुर्सी नहीं छूट रही...एक एक कुर्सी पर तीन तीन लोग जमे हैं.... धक्का मुक्की  खूब है.....!
जय राम जी की......!!

फेसबुकिया ताऊ

फेसबुक पंगों से तंग आकर 'ताऊ' ने प्रोफाइल डीएक्टिवेट कर दी। 'ताई' का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। बड़े अच्छे से चैट करी उन्होंने अंग्रेज़ी मिश्रित हिंदी में। दिल खुश हुआ कि वो ताई जो दो वर्ष पहले मुश्किल से दस्तखत करना सीखी थी आज 'टेक सैवी' बन गयीं। मन ही मन टेक्नोलॉजी को धन्यवाद दिया।
आज सवेरे उन्हें कॉल कर के बधाई दी और ख़ुशी ज़ाहिर की तो ताई ने बताया, "बिटीया, आग लगे फेसबूकवा को, ये तेरे करमजले ताऊ की करतूत है। हमको रोज़ फेसबुक दिखाते हैं सबके फोटो और चुटकुले सुनाते हैं हमरी फोटो भी लगाते हैं और कहते हैं के, ' देख हंसा की अम्मा तेरे में कितनी खबसुरती  है कि बेटों के उमर के छोकरे तुझे पसंद करते हैं'.....और खुद छोकरियों से ताई बन बतियाते रहते हैं..हमरे बस का ई सब नही बबुनी.."

-ये कोई अजूबा नहीं। ऐसा होता ही रहता है। आपके आसपास भी ऐसे कई ताऊ होंगे ही। मुझे ताई की ईमानदारी पसंद आई कि कम से कम उन्होंने अंधी पत्नियों की तरह पति के सुर में न सुर मिलाया न गलती छुपाई। सचमुच 'करमजला 'ताऊ...!

Monday, August 22, 2016

हर स्वर संगीत नहीं

मान लो किसी ने वीणा देखी  ही ना हो कभी बजाया ना हो, उसके आगे आप वीणा रख दो और पूछो यह क्या है? वह तार गिन लेगा तार की लम्बाई नाप  लेगा , कितनी लकड़ी लगी है, कितना पीतल लगा है कितने हाथी दांत लगे हैं सब हिसाब लगाकर रख देगा. मगर क्या इससे वीणा का हिसाब आ गया?  नहीं... असल बात जो थी  इसकी वह चूक गया कि वीणा में संगीत सोया था , जो अगर कुशल होता तो छेड़ देता...

(संगीत  ना लकड़ी है ना तार ना पीतल ना चमड़ी... और वीणा भी उसका स्वरुप नहीं बस एक माध्यम है माध्यम. संगीत जो उतरता है किसी आकाश से और वापिस वही लौट जाता है.
हमारी जैविक वासना भी एक माध्यम है उसी में प्रेम उतरता है. जिन्हें बजाना आता है उसे राम मिल जाता है.
"काम की वीणा में राम के स्वर भी उत्पन्न होते हैं... "

जी हाँ बजाने की दक्षता चाहिए वरना वाद्ययंत्र  रखने भर से क्या होगा , हमने संगीत उत्पन्न करने के बजाए संगीत  को दबाया ज्यादा है इतना कि रुग्ण  स्वर ही आ सकते है..
.....हर स्वर संगीत नहीं...!
वीणा  कभी गिरे  आवाज़ तब भी  आती है बच्चे छेड  देते हैं तब भी बज उठता है, चूहे दौडेंगे  तब भी बजेगा.. परन्तु जब तक संगीत ना पैदा हो स्वर सिर्फ उपद्रव है...)

गांधीगिरी

एक साल पहले की बात बताते हैं.... हमारे  फ्लैट के ऊपर वाले फ्लैट में एक फैमिली आई थी...... मोहतरमा के लंबे लंबे सुंदर बाल थे.... वे बालों को बालकॉनी में बनाया करती थीं..... और  टूटे बालों के गुच्छे हमारी बालकॉनी में आते  थे...... कभी कभी बालों के  गुच्छे हमारे कमरे में या रसोई तक आ जाते क्यूंकि ये दोनों खिड़कियाँ बालकॉनी में खुलती थीं..... हमने कई बार वाचमैन से कहलवाया कोई फर्क ना पड़ा  उन्हें........!
एक दिन हमने छोले  बनाये थे और दोस्तों को बुलाया .. उनके आने के पहले हमने सोचा ज़रा चख के  देखे  कोई कमी तो ना रही.... कढाई  का ढक्कन हटाया कि एक मुट्ठी बाल सीधे कड़ाही में.......................!
गुस्सा तो आना ही था................ हम बिना पांव में चप्पल डाले ही नीचे एक गिफ्ट कार्नर में गए एक टेबल डस्टबिन खरीदा और उसमे एक प्यारा सा कार्ड डाल कर नोट लिखा कि..."दीदी...  ये आपके खूबसूरत बालों को संभाल के रखने के लिए.... यूँ बर्बाद ना करिये............"
उसके बाद एक भी बाल ना आये................. :)
आज उस घटना का बर्थडे है.................!
.....................कैसे मनाएं?