हॉस्पिटल कैंटीन में दो जूनियर डॉक्टर्स बड़ी मासूम टाइप एक सीरियस टॉपिक पे बतिया रहे थे। उनका कहना ये था के फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलने वाली लड़कियां स्मार्ट लगती हैं लेकिन एक्सेंट इंडियन न हो तब। अपने स्टेट्स और रीजनल भाषा बोलने वाली इम्प्रेस नहीं कर पातीं। और अंग्रेज़ी बोलने के बाद जवाब अगर उनकी लोकल लैंग्वेज में आए तो वे महा गंवार लगती हैं।
मुझसे रहा नही गया और मैंने इंटरप्ट करने की सोची। मैं पास जाकर बोली, " एक्सक्यूज़ मी, कैन आई आस्क यू समथिंग...?"
उसने कहा, " यस मैम, हाऊ कैन आई हेल्प यू..?"
तभी उसके एप्रन पर मेरी नज़र गयी। उसका नाम था बी. के. झा। मेरे दिमाग मे आया 'झा' सरनेम मतलब बिहारी!
मैं थोड़ा करीब गयी और धीरे से कहा, " हई दुवार से बाएं जाइब त बहरी निकल जाइब न बाबू.."
उनका चेहरा सरप्राइज़्ड था, मुँह खुला। मैं तेज़ी से आगे बढ़ गयी। दरवाज़े के पास जाकर पलटी, वे दोनों मुझे ही झेंपकर देख रहे थे। मैं बहुत ज़ोर से हंसी और कहा, ' कल मिलती हूँ इसी जगह इसी टाइम पे...' 😊
अबकी हंसी में दोनों डॉक्टर्स भी शामिल थे।
Wednesday, May 17, 2017
अंग्रेज़ियत
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