Friday, August 5, 2022

बेरोजगारी बनाम रोज़गार

कौन कहता है के बेरोजगारी का दौर है?
 इधर हमारे युवा लोगों को सोशल मीडिया ने इत्ता रोजगार दिया है कि वे हज़ार पोस्ट और कमेंट इसी बात पर लिख देंगे कि 'हर हर शंभू' फरमानी नाज़ का है या अभिलिप्सा पांडा का है। वे अपनी एनर्जी इसमें खर्च करेंगे तिरंगे की डीपी किस एंगल से लगाएं के ज़्यादा पॉपुलर हों।
उनकी एनर्जी इस बात पर भी हाई होगी कि प्रियंका गांधी काले कपड़ो में बैठी हैं तो उसपर कौन सा गाना डालकर मीम बनाया जाए। वे गला फाड़ेंगे कि राहुल गांधी के कौन से डायलाग पर वे पप्पू प्रूव हुए। 
उनकी ऊर्जा मोदी की बढ़ती दाढ़ी पर भी खर्च होगी। वे शशि थरूर की कोई नई फ़ोटो खोज कर 3 दिन टाइम पास कर लेंगे। मगर वे टेक्नोलॉजी, विज्ञान, ज्ञान, विकास और शिक्षा की बात नहीं करेंगे (यह सरकार, प्रशासन आदि का काम है)।
वे दिन भर कमियां निकालने, कोसने या मज़ाक उड़ाने में बिजी हैं, और यही इनका क्रिएटेड रोजगार है। और आप कहते हैं कि आज बेरोजगारी समस्या है!