Saturday, July 21, 2018

पॉजिटिव टीचिंग

बचपन की तीन घटनाएं शेयर करना चाहूंगी।
छठी कक्षा में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।  किसी दूसरे स्कूल में परफॉर्मेंस था। असुविधाजनक कॉस्ट्यूम और भारी मेकअप मैनेज करना ज़रा मुश्किल था। मैंने ड्रेस पिनअप के लिए टीचर को कहा। मैडम ने बायीं गाल पर एक थप्पड़ लगाते हुए  कहा, "10 मिनट के बाद स्टेज पर जाना है और अभी तक ड्रेस नही संभाल पा रही तो परफॉर्म क्या करोगी.."
-उसी क्षण मुझे उन टीचर के प्रति  रेस्पेक्ट जाता रहा....!
प्रतियोगिताओं में भागीदारी कम हो गयी खासकर जहां वे होती थीं।

क्लास 7th, सर ने एक टफ क्वेश्चन बोर्ड पर लिख सॉल्व करने को कहा। मैंने जल्दी कर के हाथ उठाया। सर हंसे और बोले , "अभी तो अलाने और फलाने (दो स्टूडेंट्स के नाम) बना ही पाए तुमसे कैसे हो गया..?" अन्ततः अलाने-फलाने ने भी गलत जवाब लिखा। मैंने सही solution के बाद भी कॉपी बन्द कर बैग में रख दिया।
उस सब्जेक्ट से मेरा इंटरेस्ट ख़त्म हुआ। और सर के प्रति रेस्पेक्ट जाता रहा...!

क्लास 9th, उन दिनों स्कूल अंडर कंस्ट्रक्शन था। वाशरूम कम थे। इमरजेंसी में स्टूडेंट्स स्टाफ टॉयलेट यूज़ करते थे। मैं उस दिन टीचर्स वाशरूम से निकली ही थी कि दरवाज़े पर मैडम खड़ी थीं। मुझे स्टाफरूम में आने का इशारा किया। मैं गयी तो मैम ने कहा, "टीचर्स वाशरूम क्यूं गयी?"
-"मैम वहां भीड़ थी।"
-"भीड़ थी तो क्या, थोड़ा वेट करना सीखो.. और आज के बाद कोई भी स्टूडेंट टीचर्स टॉयलेट में नही आएगा। ये मैं नोटिस बोर्ड पर लिखवा रही अभी.."
इसके बाद वहाँ बैठे दो- एक सर और मैम ने बेशर्म भाव से ठहाके लगा दिए।
मुझे इंसल्ट और गुस्से की फीलिंग आयी, शायद उनलोगों ने भी नोटिस किया। मैं हट गई और फिर एक दो लोगों के प्रति सम्मान ख़त्म हुआ.....!

ये कहानी मेरी नही किसी की भी हो सकती है। शिक्षकों केलिए हरेक विद्यार्थी एक समान होने चाहिएं। और सब पर अपनी संतान सा स्नेह भी होना चाहिए एक ज़िम्मेदार अभिवावक की तरह क्योंकि टीचर्स स्कूल में पेरेंट्स का रोल अदा करते हैं। चाहें तो अनगढ़ मिट्टी को खूबसूरत आकर दे सकते हैं चाहे तो रौंद सकते हैं।
वे चाहें तो हमे कॉन्फिडेंस से लबरेज़ कर सकते हैं चाहें तो दब्बू बना दें। शिक्षक का पक्षपाती रवैया बहुत विद्यार्थियों को हीन भावना और कई डिसऑर्डर से भर देता है। नतीजतन पढ़ाई और अन्य गतिविधियों से इंटरेस्ट ख़त्म हो जाता है। कुछ लोग उबर जाते हैं, कइयों का भविष्य डावांडोल हो जाता है।

एक अच्छा, समझदार और पॉजिटिव टीचर स्टूडेंट्स की रीढ़ होता है। और मज़बूत रीढ़ पर ही पूरा स्ट्रक्चर टिका होता है।