Wednesday, September 1, 2021

जन्माष्टमी

जय श्री कृष्ण!
शुभकामनाएं जन्माष्टमी की ज़रा हट के...

आज तो सबने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की ढेरों और सार्थक पोस्ट लिखी हैं। मैं भी खूब लिखती हूँ उनको जब भी मौका मिलता है। आज मैं उनके योगी-भोगी, योद्धा-नर्तक, प्रेमी-निर्मोही वाले गुणगान से थोड़ा अलग बात करती हूँ। जहाँ वे सिर्फ नन्हें बालक हैं और मैया यशोदा हैं। अगर उनकी बाल लीलाओं (चमत्कार वाले) को छोड़कर बात करें तो यशोदा दुनिया की बेस्ट मॉम दिखती हैं। और बेस्ट पेरेंटिंग टिप वही दे सकती हैं।
माँ का सर्वप्रथम गुण उसके वात्सल्य के अलावे धैर्यवान होना होता है। यशोदा ने जिस तरह बालक कृष्ण की शरारतों और गांव वासियों की शिकायतों के बीच बैलेंस बना कर रखा है वो हम सब के लिए अनुकरणीय है। इतना लाड़ प्यार और वात्सल्य के बाद कहीं कहीं सज़ाओं का ज़िक्र भी है जैसे 'माखन टाइमआउट' हो, या ओखली से बांधना, या रूठ कर बात न करना, गोपियों की शिकायतों से झल्लाना, उसके बाद ख़ुद दुःखी होना। ये बातें 'प्राइज एंड पनिशमेंट' की भी थ्योरी बताती है। 
यशोदा एक समृद्ध और संपन्न घर से दिखती हैं, उनके पति नन्द जी नगर प्रमुख हैं। घर मे चाकरों की कमी नहीं दिखती। फिर भी यशोदा का ज़िक्र आता है कृष्ण को नहलाते हुए, खिलाते-खेलते हुए, उन्हें सजाते हुए, मनाते हुए, सुलाते हुए ,लोरी सुनाते हुए। यानी ख़ुद से पालन पोषण करते हुए। ये मत कहियेगा आप कि वे हाउसवाइफ थीं। यशोदा और उनकी टीम पूरे नगर के लिए दही, माखन, घी निकालने का काम करती थीं।
मैं कहना चाहूँगी कि माताएँ जो वर्किंग हों या हाउसवाइफ, जॉइंट फैमिली में हों या न्यूक्लियर , बच्चे जब छोटे होते हैं तब आप उनकी मैक्सिमम ज़िम्मेदारियाँ उठाइये। हाँजी आपके आसपास जो हों उनकी हेल्प भी लीजिये पर गुड पेरेंटिंग के लिए क्वालिटी टाइम ज़रूर दीजिये। हां डैड भी! 
एक सार्थक जन्मोत्सव तभी होगा जब जिसे हमने जन्म दिया है उसका पालन पोषण भी उत्सव समान हो। हंसी-खुशी, समय और पूरी एनर्जी के साथ। 
बधाई के साथ मेरी एक रिक्वेस्ट सुनते जाइये , अपने आसपास की एक बेस्ट माँ और उनके बेटे या बेटी की तस्वीर शेयर कीजिये। उनके लिए कॉम्प्लीमेंट के तौर पर। चाहें तो मेरे कमेंट बॉक्स में भी डाल सकते हैं।