Monday, April 10, 2017

दादी

बचपन को याद करें तो अक्सर  हमारे घर में मीठी चीज़ें बनायीं जाती थीं..... जिनमे गुड के पुए भी बनते थे भोग लगाने को, दादी बनाती या बनवातीं थीं. आज के दिन हम जब भी घर से बाहर रहे दादी को खूब याद किया है बल्कि इन दिनों हफ्ते भर से दादी याद रही सोते जागते... :(

एक वाकया बताते हैं बचपन का, जो कई दिनो से शेयर करना चाहते थे... Daltonganj  में दादी हमे  लेकर छे-मुहान वाला काली मंदिर जाया करती थीं रोज़ शाम की आरती में.... वो पूजा पाठ करतीं हम खेलते रहते .. नारियल और पेडे खाते.....  उस दिन भी शाम की आरती में गए, दादी व्यस्त रहीं पूजा में , बहुत देर भी हो रही थी मंदिर में कम लोग बचे थे .. पूजा समाप्ति पर दादी जैसे ही माथा टेकने झुकीं हम उनके ऊपर बैठ गए, हाथ में छड़ी थी उठा के चिल्लाये "मैं बारूद के गोले पे बैठ कर आग लगा लुंगी, मगर अपने जीते जी अपनी झाँसी छोड़ कर नहीं जाउंगी...." ..
उसके बाद न पूछिए क्या हुआ, दादी झटके से उठीं और उस वक़्त साक्षात काली का अवतार लग रही थीं... बहुत पिटाई हुई.... बहुत!
छेमुहान से जेलहाता कुटाते पिटाते पहुंचे थे.... आज भी इस घटना को याद करने में पीठ में दर्द  होता है.. आंसू आते हैं हंसी आती है... अच्छा लगता है .. फिर से वो दर्द महसूस करना चाहते हैं.. बुजुर्गों का प्यार याद आता है.. ...!
"फिर से बीते वक़्त में जाने की इच्छा है.... दादी आज हमारे बीच नहीं हैं... जी करता है २-४  घंटे के लिए ही सही.. एक बार आतीं तो फिर से जीते... प्लीज़ दादी ... प्लीज़... मिस यू...."

11 अप्रैल 2013

Sunday, April 2, 2017

BPMA

यही कोई हम आठ -नौ साल के रहे होंगे उस वक़्त. हमारे  बुआ-चाचा सब कॉलेज जाते थे और हम स्कूल . उनकी कलरफुल कापियां /किताबें हमे खूब अट्रैक्ट करती थीं क्यूँकि हमारी कॉपियां स्कूल की छपी होती थीं सब एक जैसी भूरे रंग की और DAV public school लिखा होता था.
हमे याद है बुआ की एक ऐसी ही कॉपी थी जिसके पीछे बड़े बड़े अक्षरों में BPMA लिखा हुआ था., जिसका फुल फॉर्म था 'बिहार पेपर मिल्स असोसिएशन '. हमने वहीँ रंगीन अक्षरों में BPMA का नया फुल फॉर्म लिख डाला ' बीडी पीये मज़ा आवे' :D. कॉलेज में उनकी साइकोलोजी की लेक्चरार ने देखा तो पूरी क्लास के सामने ही उनकी  बैंड बजाई थी . ;)
शाम को जब हम खेल कर घर  वापिस आये  तब मेन गेट से ही खतरे का आभास हुआ, दादा-दादी, मम्मी- पापा ,चाचा बुआ सब वहीँ थे और एक साथ सबने  क्लास लगा दी :) . कौन पहले बोला और कौन  बाद तक याद नहीं, पर मेरी जो आरती उतारी गयी थी उसकी रौशनी अब तक रौशन है और धूप अगरबत्ती की खुशबू, आहा -' वो कभी भुलाई न जा सकेगी.....' !
;) :P