Friday, November 9, 2018

गोधन

दीपावली के दो दिन बाद यम द्वितीय/ भाई दूज/गोधन कूटने की परंपरा है। बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप से मनाए जाने वाले इस त्योहार में बहनें अपने मुख्य द्वार पर गोधन बना भाइयों के दुश्मनों को प्रतीकात्मक रूप में दण्ड, मूसल आदि से कूटती हैं। लोकगीतों की झंकार  में इसकी झलक आप देख सकते हैं। वहीं घर में खीर पूड़ी पीठा पकवान आदि बनते हैं। मज़ेदार बात बताती हूँ। पीठा बनाने के दौरान उसमें चावल के आटे की छोटी छोटी चिड़िया नुमा आकृति बना कर डालने की प्रथा है। पीठा-पूरी खाने के पहले भाई लोग उस चिड़िया को पैर से तोड़ते हैं फिर टीका लगवा बजड़ी खाते हैं। यानी घर मे होने वाले अपशकुन आदि को नष्ट कर के ही चैन का निवाला डालते हैं।

एक बात बताओ भाई लोग? ई बहनें तो ताल ठोंक कर तुम्हारे दुश्मनों की छाती पर चढ़ ईंट पत्थरों और कांटों के बीच दंड मूसल से छिन्न भिन्न करती आयीं हैं और तुमलोग घर मे खाने से पहले 'चिड़ी मार' बन बैठते हो?
मतलब भाइयों  रक्षाबन्धन वाले तुम्हारी रक्षा से ज़्यादा तगड़ी सुरक्षा बहने देती आयी हैं। है ना?