Wednesday, August 31, 2016

शरीर और शरीर के सारे दुःख -दर्द
तुम्हारे लिए मात्र 'मेडिकल' और 'क्लीनिकल'
प्रश्न हो गए हैं.....
पर मेरे लिए..........?
".....मेरे लिए... चुकते जाना है.....
क्षण-क्षण कुंठित होना और तिल-तिल
मरने को जीना..................."

Tuesday, August 30, 2016

जिंदगी

जिंदगी एक चिट्ठी से दूसरी चिट्ठी तक का इन्तेज़ार भी हो सकती है...!

(कभी-कभी किसी के लिए......)

तुमसा ही

कुछ तुमसा ही था वो बातों में- शरारत में..
और तुमसे ही मिलता था दस्तूर-ए-मुहब्बत में....

पर्सनालिटी

पद , प्रतिष्ठा, पैसा, पॉवर,  इंसान की पर्सनालिटी बदल देते हैं।
पर सिर्फ "पर्सनालिटी" से बाकी चार चीज़ें इंसान कम ही बना पता है।
सो ब्यूटी पैजेंट जीतने के लिए भी 'ब्यूटी विद ब्रेन ' होना ज़रूरी है।
(इसलिए भगवन ने सबसे ऊपर खोपड़िया बनायीं है कि ब्रेन की देख रेख और साज सज्जा में तवज्जो दो... बाकी मर्ज़ी आपकी ..... जय राम जी की!)

Monday, August 29, 2016

चाँद

.....आज रात चाँद फूट- फूट के रोएगा,
देखना सुबह भीगी पत्तियाँ, भीगे फूल और नम कलियाँ.....

Saturday, August 27, 2016

Valentine day

अपने अपने ज़माने में , मतलब स्कूल कॉलेज टाइम में सब बड़े आशिक , मजनूं, लैला , राँझा , हीर होते थे। उम्र हो जाने पे जब अंकल आंटी टाइप सोच हो गयी तो लगे सब संस्कारी फील करने।
अरे, मनाने दीजिये न वैलेंटाइन डे उनको जो मनाना चाहते हैं। क्या हो जाता है आपको के अचानक मातृ -पितृ पूजन दिवस , ईश्वर भक्ति , इंडियन कल्चर इत्यादि ज़ोर मारने लगता है। प्रेम दिवस ही तो है, कौन सा एनेमी डे मना रहे...? हर दिन ईश्वर भक्ति कीजिये , मात पिता का पूजन कीजिये और संस्कार को भी जीवित रखिये।
चूंकि इंडिया में इज़हारे इश्क़ वर्जित विषय रहा है और वर्जनाएं सदा लुभाती आयीं हैं।
बेहूदी सामाजिक रूढ़ियों को अक्सर नए लहू ने बदला है और बदलते आएंगे। मनाइये बेख़ौफ़ जश्ने मुहब्ब्त शायद बदलाव की हमे ज़रुरत है।
-जब रिवाज़ों के बंधन टूटेंगे तभी इश्क़ की दास्ताने लिखी जाएंगी...!

मुबारक आपको ,मुझको, सबको।

Tuesday, August 23, 2016

हस्तक्षेप

किसी के किये में हस्तक्षेप करना ही है, तो इस तरह कीजिये कि बाधाएं दूर हों और कोई सार्थक हल निकले।
एक सरलीकृत निष्कर्ष, कोई नीतिगत विकल्प ढूंढा जाना चाहिए। कट्टर और असहिष्णु होने से रस्ते बंद हो जाते हैं।

(जिन्हें इनकी ज़रूरत हो...)

बीमारी कब्जियत की

सुनो जी एक मज़ेदार कहानी.... एक आदमी को बिमारी हो गयी थी कब्जियत की..... महा बीमारी.....! २ महीने बीत गए और मल-विसर्जन नहीं हुआ था... डॉक्टर हैरान परेशान .. सारी दवाइयां  फेल!! इतने में  खबर आई कि जर्मनी में एक दवा बनी है जो इन्हें ठीक कर दे... दवाई मंगाई गयी... चिकित्सकों ने सोचा 'ये कोई साधारण आदमी तो हैं नहीं  ... इस ने दो महीने से साधा  हुआ है... संयमी.. महायोगी!!! तो इसे पूरी बोतल पिला दो....'
तीसरे दिन डॉक्टर उसके घर गए देखने को कि असर हुआ या नहीं..... पता चला आदमी मर गया और मल -विसर्जन जारी है...!लोग अर्थी सजाये बैठे हैं और वो संडास में बैठा है.....!

हाँ तो.... हमारे नेता लोग भी  कुछ ऐसे ही हैं..... ७० ..८०.. साल क होगये हैं अभी भी जमे हैं दिल्ली में... दम खम तो कब का मर चुका है.. पर मल -विसर्जन रुक नहीं रहा.....! दौड जारी  है.... कुर्सी नहीं छूट रही...एक एक कुर्सी पर तीन तीन लोग जमे हैं.... धक्का मुक्की  खूब है.....!
जय राम जी की......!!

फेसबुकिया ताऊ

फेसबुक पंगों से तंग आकर 'ताऊ' ने प्रोफाइल डीएक्टिवेट कर दी। 'ताई' का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। बड़े अच्छे से चैट करी उन्होंने अंग्रेज़ी मिश्रित हिंदी में। दिल खुश हुआ कि वो ताई जो दो वर्ष पहले मुश्किल से दस्तखत करना सीखी थी आज 'टेक सैवी' बन गयीं। मन ही मन टेक्नोलॉजी को धन्यवाद दिया।
आज सवेरे उन्हें कॉल कर के बधाई दी और ख़ुशी ज़ाहिर की तो ताई ने बताया, "बिटीया, आग लगे फेसबूकवा को, ये तेरे करमजले ताऊ की करतूत है। हमको रोज़ फेसबुक दिखाते हैं सबके फोटो और चुटकुले सुनाते हैं हमरी फोटो भी लगाते हैं और कहते हैं के, ' देख हंसा की अम्मा तेरे में कितनी खबसुरती  है कि बेटों के उमर के छोकरे तुझे पसंद करते हैं'.....और खुद छोकरियों से ताई बन बतियाते रहते हैं..हमरे बस का ई सब नही बबुनी.."

-ये कोई अजूबा नहीं। ऐसा होता ही रहता है। आपके आसपास भी ऐसे कई ताऊ होंगे ही। मुझे ताई की ईमानदारी पसंद आई कि कम से कम उन्होंने अंधी पत्नियों की तरह पति के सुर में न सुर मिलाया न गलती छुपाई। सचमुच 'करमजला 'ताऊ...!

Monday, August 22, 2016

हर स्वर संगीत नहीं

मान लो किसी ने वीणा देखी  ही ना हो कभी बजाया ना हो, उसके आगे आप वीणा रख दो और पूछो यह क्या है? वह तार गिन लेगा तार की लम्बाई नाप  लेगा , कितनी लकड़ी लगी है, कितना पीतल लगा है कितने हाथी दांत लगे हैं सब हिसाब लगाकर रख देगा. मगर क्या इससे वीणा का हिसाब आ गया?  नहीं... असल बात जो थी  इसकी वह चूक गया कि वीणा में संगीत सोया था , जो अगर कुशल होता तो छेड़ देता...

(संगीत  ना लकड़ी है ना तार ना पीतल ना चमड़ी... और वीणा भी उसका स्वरुप नहीं बस एक माध्यम है माध्यम. संगीत जो उतरता है किसी आकाश से और वापिस वही लौट जाता है.
हमारी जैविक वासना भी एक माध्यम है उसी में प्रेम उतरता है. जिन्हें बजाना आता है उसे राम मिल जाता है.
"काम की वीणा में राम के स्वर भी उत्पन्न होते हैं... "

जी हाँ बजाने की दक्षता चाहिए वरना वाद्ययंत्र  रखने भर से क्या होगा , हमने संगीत उत्पन्न करने के बजाए संगीत  को दबाया ज्यादा है इतना कि रुग्ण  स्वर ही आ सकते है..
.....हर स्वर संगीत नहीं...!
वीणा  कभी गिरे  आवाज़ तब भी  आती है बच्चे छेड  देते हैं तब भी बज उठता है, चूहे दौडेंगे  तब भी बजेगा.. परन्तु जब तक संगीत ना पैदा हो स्वर सिर्फ उपद्रव है...)

गांधीगिरी

एक साल पहले की बात बताते हैं.... हमारे  फ्लैट के ऊपर वाले फ्लैट में एक फैमिली आई थी...... मोहतरमा के लंबे लंबे सुंदर बाल थे.... वे बालों को बालकॉनी में बनाया करती थीं..... और  टूटे बालों के गुच्छे हमारी बालकॉनी में आते  थे...... कभी कभी बालों के  गुच्छे हमारे कमरे में या रसोई तक आ जाते क्यूंकि ये दोनों खिड़कियाँ बालकॉनी में खुलती थीं..... हमने कई बार वाचमैन से कहलवाया कोई फर्क ना पड़ा  उन्हें........!
एक दिन हमने छोले  बनाये थे और दोस्तों को बुलाया .. उनके आने के पहले हमने सोचा ज़रा चख के  देखे  कोई कमी तो ना रही.... कढाई  का ढक्कन हटाया कि एक मुट्ठी बाल सीधे कड़ाही में.......................!
गुस्सा तो आना ही था................ हम बिना पांव में चप्पल डाले ही नीचे एक गिफ्ट कार्नर में गए एक टेबल डस्टबिन खरीदा और उसमे एक प्यारा सा कार्ड डाल कर नोट लिखा कि..."दीदी...  ये आपके खूबसूरत बालों को संभाल के रखने के लिए.... यूँ बर्बाद ना करिये............"
उसके बाद एक भी बाल ना आये................. :)
आज उस घटना का बर्थडे है.................!
.....................कैसे मनाएं?

male ego

दुनिया में अगर कुछ हर्ट होता है तो सबसे पहले नम्बर पर MALE EGO है।
BRITTLE & FRAGILE...!!!!
च्च च्च च्च... ओह क्या करूँ?
अभी  पुराने पोस्ट्स पे जो हाय तौबा मचाई कुछ लोगों ने, इसी में अपनी असली शक़्ल को इन्होंने इनबॉक्स में भी उघाड़ा है। 
नेक्स्ट टाइम मेसेज करने के पहले ख्याल रखियेगा कि अपनी जूतों से अपनी अक़्ल निकाल कर ज़रा इस्तेमाल कर लें।
33 लोगों को  लिस्ट से हटाया है। इसके बावजूद अगर किसी का ईगो चकनाचूर हो रहा तो आप ही बचाइये ख़ुद को या फिर टैग लगा लीजिये माथे पर-
-Handle With Care, MALE EGO inside....!
Definitely i will take care ......

Friday, August 19, 2016

देवताओं के पास बड़ी सुन्दर अप्सराएं होती थीं जो हमेशा सोलह साल की  ही हुआ करती थीं.. उनकी देह से पसीना नहीं निकलता था वे हर वक्त सुगन्धित होती थीं  बोले तो हरदम   रसगुल्ला ही रसगुल्ला........!
देवता भी कितने रसगुल्ले खाएं रोज-रोज ? कभी कभी भजिया खाने का मन हुआ तो चले आये पृथ्वी पर...| और यहाँ ऋषि की पत्नी मिलती हैं भ्रष्ट होने को.. जी हाँ अहिल्या...! फिर अहिल्या हो ही अभिशापित होना पड़ता है... पत्थर बन कर..क्या कसूर था अहिल्या का? यहाँ अन्याय देखिये, गौतम ऋषि  ने इन्द्र को अभिशापित ना करके के अहिल्या को किया , स्त्री जो ठहरीं...!

(वही इन्द्र जिनके पास दो ही काम होते थे अप्सराओं को नचाना या फिर ऋषियों या उनकी पत्नियों को भ्रष्ट करना.. ज़रा ऋषियों ने तपस्या नहीं की कि इनका सिंहासन डोलने लगता था फिर या तो मेनका को भेजो विश्वामित्र के पास या फिर ये खुद आयें अहिल्या के पास...)

और अहिल्या का  कल्याण भी लिखा गया कि श्रीराम के स्पर्श से ही वे शाप मुक्त होंगी.. वही श्रीराम जिन्होंने स्वयं अपनी ही स्त्री के भाग्य में  वनवास, गृह-निष्काशन  और अनिपरीक्षा  लिखी  थी..!

Thursday, August 18, 2016

साले

...... आदमी अपनी बीवी के भाई बहनों को बड़े आराम से 'साला' 'साली' कहते नज़र आते हैं..... !
बीवियां अपने शौहर के भाई बहनों को  साला- साली क्यों नहीं कह सकतीं?
जबकि आदमी औरत दोनों अपने सास ससुर को माँ- पापा ही कहते हैं, फिर भाई बहनों के सम्बोधन में वैयाकरणों ने पक्षपात क्यूँ किया.....?
(मने एक सिम्पल बात पूछ रहे, मंदबुद्धि हैं न...)

कोई वीरांगना trendsetter है जी लिस्ट में...????

- वैसे रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई फेसबुकिये भाइयों को। डरिये नहीं, हम बहनें आपकी रक्षा के लिए रात दिन तैनात हैं।
आशीर्वाद!!

Monday, August 15, 2016

तीन रंग आज़ादी के

धूमिल ने कहा था के आज़ादी तीन थके हुए रंगों का नाम है जिसे एक पहिया ढोता है।
नहीं... नहीं... आज़ादी तीन थके रंग नहीं धूमिल जी, आज़ादी वो तीन शोख और चटख रंगों का मेल है जो हमारी नस नस में ऊर्जा का प्रवाह करता है। पहियों के ज़माने से निकल चुके हम अपनी ऊर्जा और ताक़त अपने पंखों में भर आकाश का विस्तार नापेंगे...।
हाँ! चक्र के नीले रंग को मैंने अभी चुरा लिया है, छुपा लिया है।

(-शाम हो चुकी है अब तिरंगा संभाल के सम्मानपूर्वक रख दें, अपनी DP से भी...😊)

जय हिंद!

Sunday, August 14, 2016

स्वतंत्रता

इंडिया में मोस्टली दो तरह के टैलेंट रोज़ दम तोड़ते हैं।

- एक वो औरत जो कई हुनर और डिग्री रखते हुए, घर -परिवार और रसोई में ज़िन्दगी होम करती है।
- दूसरा वो आदमी जो अपने 'स्पार्क' को घर चलाने और कमाने में जला डालता है।

दोनों सूरतों में रोज़ तमाम ख़्वाब क़त्ल होते हैं इस छोटी सी सिंगल ज़िन्दगी के.....!

असली मायनो में स्वाधीनता तब मनेगी जब समाज या परिवार से हम एक स्त्री और एक पुरुष को लादी हुई बेढंगी ज़िम्मेदारियों से मुक्त करें।

#आज़ादी और #Revolution ...
#जयहिंद

Tuesday, August 9, 2016

महिलाये

ये कहते तो सुना होगा सबनेे के, अगर मैंने शराब पी तो तो मेरी बीवी मुझे मार डालेगी। या ऐसी ही तमाम बातें.....। आप ऐसा क्यू नही कहते की शराब बुरी चीज़ है या नैतिक रूप से आपको गलत लगता है.....???
जी हाँ, हम सीमाएं तय करती हैं....!
और आप भी ऐसी ही महिला के साथ तरक्की करते हैं जो आपकी सीमाएं बांधती हैं। और जब आप लांघने की कोशिश करते हैं तब हम आपको पीछे खीचते हैं।
इंसान के इर्द गिर्द हदें न हों तो वे संबंधों को अर्थहीन बना देते हैं।

जूता

श्रीराम को वनवास और भरत जी को राजगद्दी मिली थी। भरत वन में श्रीराम से मिलने गए जिसमे मुलाक़ात से ज़्यादा वो राजनीति की सूक्ष्मता समझा गए। राजमुकुट की जगह खडाऊं ले जाना उनके राजनीतिज्ञ होने का प्रमाण देती है।
सत्ता और शासन  में एक खास वर्ग को खड़ाऊं (जूतों) का भय बहुत ज़रूरी है। राजनीतिज्ञ भरत इस बात को अच्छे से जानते थे कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं। 😁😁 इसलिए उनका राज्यकाल ही शायद रामराज्य के नाम से विख्यात था। सुचारू रूप से 14 वर्ष उन्होंने राजकाज चलाया।
और श्रीराम अगर राजदंड अच्छे से समझते तो इतने कॉन्ट्रोवर्सी में नहीं आते। पहला दंड धोबी को मिलना था। खड़ाऊं पद्धति से!
वर्तमान राजनीति में एक शासक की ज़रुरत पहले है ' मर्यादा पुरुषोत्तम' सिर्फ उपदेशक रहें तो बढ़िया।

** क्षमा के साथ।
श्रीराम और भरत सिर्फ उदाहरणार्थ।

I'm u!

एक बार भी ये ना सोचना कि तुम जो मेरे लिए सोचते हो वो मुझे नहीं पता चलता... जो तुम्हारे पास है उसे मुझसे बांटना मेरे लिए बहुत है....अपनी खुशिया अपने गम, अपना सिंगार और अपना भ्रम, अपना प्यार और अपनी बेचैनी भी मेरे साथ बांटो....मै सब चाहती हूँ...
मै तुम हूँ!
मैं सूर्योदय मैं ही सूर्यास्त हूँ..मैं चाँद मैं अग्नि .. इसका प्रकाश इसकी गर्मी.... मुझे विषय और मस्तिष्क से कभी अलग मत करना...
मैं सब हूँ!
सभी में मैं हूँ......!

(इन् प्रवचन मूड..)

Wednesday, August 3, 2016

पुरुष मुक्त भारत

चेत जाओ कुकर्मियों.......!
'फलाना -मुक्त' भारत(खास राजनैतिक पार्टी) .... या..
'ढिमका -मुक्त' भारत( खास सम्प्रदाय), चीखते रह जाओगे। और एक दिन स्त्रियों का ऐलान कहीं ' पुरुष- मुक्त' भारत का ना हो जाए...!

-शर्म करो...!
-शर्म करो....!