Thursday, July 14, 2016

देशभक्ति

देशभक्ति का ज़िम्मा सिर्फ सेना के तीन विंग्स का नहीं,  ना ही चंद पॉलिटिशियन्स के।  खास समय में अपने स्टेटस /DP बदल कर न आप देशभक्त हो सकते और ना ही गला फाड़ कर 'जय हिन्द' , ' वन्दे मातरम्' या 'भारत माता की जय' आदि बोल कर।
खेत में पसीना बहाता हुआ किसान भी उतना ही देशभक्त है जितना बॉर्डर पर जमा हुआ सिपाही।
रूढ़ियों को तोड़ कर बेटियों को स्वावलंबी बनाते हुए अभिभावक, शिक्षा देते हुए शिक्षक, जीवन देते डॉक्टर,  वो एम्प्लोयी जो ईमानदारी से टैक्स पे करते हैं, हर दिन संघर्ष करती हुई आम स्त्री जो एक कदम समाज को आगे ले जा रही या फिर वो तमाम स्त्रियां जो आपके घर को घर बनाये रखने में अपनी आहुति रोज़ देती हैं, वे भी देशभक्त हैं उसी तरह जितने दुश्मनों पर बमबारी करते हुए वायुसेना के जवान, या आधी जिंन्दगी पानी में रह कर आपकी रक्षा के लिए ऊष्मा देते हुए जल सैनिक।
कहने का मतलब, हरेक की सहभागिता अनिवार्य है तभी देश आगे बढ़ेगा। आप किसी भी क्षेत्र में हों या कहीं न हों, हर काम में  ईमानदारी और punctuality अपेक्षित है।
किसी एक को भी आप आगे बढ़ाते हैं तो समाज एक कदम आगे बढ़ेगा। यदि आपकी वजह से कोई आहत है, कोई टूटा है, तो ये भी देशद्रोह की केटेगरी है। एक एक आदमी से समाज निर्मित है और समाज से देश।
देशभक्ति प्रूव करनी हो तो पहले खुद ज़िम्मेदार बनें, पारिवारिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियों को मज़बूती से निभाएं, हाथ से हाथ मिलाते जाएँ और कदम आगे बढ़ाएं।
याद रहे, देशभक्ति रोज़मर्रा की ईमानदार ज़िन्दगी है ....

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