Tuesday, October 10, 2017

पटाखे

मैं 5 साल की थी उस दीवाली में। अन्य बच्चों के साथ फुलझड़ी और चरखी का मज़ा लेते हुए चहक रही थी। बड़े बच्चे 'बीड़ी बम', 'मिर्ची बम' आदि फोड़ रहे थे। चाचा को बम का पैकेट पास करते हुए मेरे हाथ की फुलझड़ी लगी और एक बम हाथ मे फट गया। मेरी हथेली देखने लायक नही बची थी। दूसरे साल मेरे भाई ने अधजले पटाखे को हाथ लगाया ही था फट पड़ा। फिर वो दीवाली भी गयी।उस दिन से आज तक मैंने दीवाली में फुलझड़ी तक को हाथ न लगाया। पटाखों की आवाज़ से ही डरती हूँ। मैं आसपास नही फटकती। रॉकेट अनार इत्यादि भी नही देख पाती। लोग मुझे डरपोक कहते हैं, कहते रहें। मैंने झेला है, मैं जानती हूँ! पटाखों पर बैन कभी कभी सुकून देता है।
ये फेसबुक पर जो पटाखों को लेकर '***रोना' चल रहा न, उन्हें एक ऑफर देना चाहती हूँ। कम्पनी की तरफ से और एक दोस्त की तरफ़ से पटाखों के दो तीन बड़े बड़े गिफ्ट पैक मिले हैं। और यहां के पटाखे तो फेमस हैं ही। जिन्हें चाहिए मैं उन्हें शुभकामनाओं के साथ भेज दूंगी। वरना हर साल मैं पानी में डाल देती हूँ।

हैप्पी दीवाली इन एडवांस!!

No comments:

Post a Comment