Friday, April 27, 2012


तुम लगाते सिर्फ चक्कर ही ...
हम मनाज़िर से दिल लगाते हैं...!
तुम्हारी नज़र सिर्फ लहरों पर होती है....
हम समंदर में डूब जाते हैं..!
तुम आते हो घर लौट के, बस हवा खा के ज़माने की....
हम ज़ख्म खा के भी देखो कैसे ठहाके लगाते हैं......!

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