Thursday, June 28, 2012


इनायत , कि तुमने दर्दे दिल दिया है
तुम्ही को देते जायेंगे दुआएं...
भूल जातें है हर इक शै दुनिया की
बता, कि तेरी मुहब्बत कैसे भुलाएं....?


(उफ्फ्फ.. राह भी देखती रही थी आने का.. हज़ार शिकायतें लिए.. कि इस बार आओ तो ये कहूँ .. ये कहूँ.. वो कहूँ और वो कहूँ...! कितना रुलाया.. कितना सताया.. कितना जलाया... सोचा कि आओगे तो बोलूंगी भी नहीं..... !
तुम आ भी गए.. और मैं नाचने लगी.. भूल गयी सारी बातें.. शिकायतें... जो हुआ सो हुआ.. क्या छेड़ूँ उन बातों को इस मंगल घडी में....नाचने गाने कि घडी में...! रौशनी ज़रा सी मिली तुम्हारी मन रौशन हो गया....

.."होता है ऐसा..")

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