भीड़ या तो समर्थन के लिए होती है या विरोध के लिए। भीड़ का अपना मत नहीं होता। इंडिविजुअल की सोच भीड़ से काफी अलग है, पर उपयोग नहीं हो पाता।
डेवलपमेंट चाहिए, क्रांति चाहिए तो एक जोड़ी डगमगाते पाँव ही काफी हैं रास्ता बनाने के लिए। यही पाँव इतने सशक्त हो जाते हैं के भीड़ का नेतृत्व करते हैं।
भीड़ का हिस्सा कभी मत बनिये, भीड़ कोे अपने सामने रखिये या अपने पीछे।
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