Wednesday, May 25, 2016

डॉक्टरी पेशे का बाज़ारवाद

आप डॉक्टर के पास जाते हैं, दिखाते हैं, वापसी में तुरंत आपको रिसेप्शन से एक फॉर्म भरना मैंडेटरी हो जाता है। ये फॉर्म होता है फीडबैक का जिसमे डॉक्टर अपने लिए रेटिंग की डिमांड करते हैं। पहले हॉस्पिटल्स में लेते रहे हैं फीडबैक। पर अब प्राइवेट क्लिनिक में भी।
कोई डॉक्टर से यूँ ही गपशप के लिए मिलने नहीं जाता। सभी तक़लीफ़ में जाते हैं, और इतना वेट करने के बाद डॉक्टर से मिल कर पेशेंट जल्द घर पहुचना चाहता है।
सिर्फ वहीँ फीडबैक नहीं देना, बाद में कई दिनों तक SMS और मेल से आपको सन्देश भेजा जाता है। मुझे इसके पीछे की स्ट्रेटेजी समझ नहीं आई। प्लीज़ दोस्तों शंका समाधान करें।
-फीडबैक फॉर्म ज़रूरी किसलिए है?
- जिस तरह फीडबैक के लिए मेल मेसेज आते रहते हैं, क्या डॉक्टर उसी ज़रिये अपने मरीज़ का हाल नहीं पूछ सकते?
-या  फीडबैक फॉर्म क्लीनिक में भरवा लो या फिर मेसेज के लिए रखो
- फीडबैक लेकर क्या डॉक्टर्स अपनी पॉपुलैरिटी चाहते हैं या अन्य मरीजों की हेल्प करना चाहते हैं?
-फ़ॉर्म में एक और कॉलम देखा, कि क्या आप उक्त डॉक्टर को अन्य को रेफर करना चाहेंगे? और क्यों?
(ये नहीं लिखा था के रेफर नहीं करना चाहेंगे तो क्यों)

कोई इंटेंशन या रोष से नहीं लिखा है। मुझे डॉक्टर्स जीवन दाता लगते हैं। सबसे नोबल जॉब मुझे यही लगता है। और सबसे कठिन पढाई और संघर्ष डॉक्टर ही करते हैं। समाज सेवा लोक सेवा का सॉलिड example डॉक्टर के अलावे मुझे नही नज़र आता। इसलिए लोग धरती का ईश्वर कहते हैं इन्हें। मेरा सलाम उन तमाम डॉक्टर्स को जिन्होंने कई कई बार मुझे नया जीवन दिया है। सलाम उन सभी डॉक्टर्स को जिन्होंने किसी न किसी को साँसे दी है, और स्वस्थ किया है!
लेकिन....
फीडबैक फॉर्म भरने के क्रम में एक बुज़ुर्ग की हालत नाज़ुक देखी। 45 मिनट उनके बेटे ने उन्हें कुर्सी पे बिठा कर क्लिनिक की फॉर्मेलिटी पूरी करने में निकाला। पहले से बीमारी तो थी ही आराम के बजाय इतनी देर भीड़ में बैठने के कारण संभाल न पाए और बेहोश हो गए। प्रॉब्लम क्या है बाद में पता चलेगा।
-इस फील्ड में क्या व्यवसायीकरण ज़रूरी है..?
- है तो, किस हद तक होना चाहिए ताकि मरीज़ और डॉक्टर्स दोनों को सहूलियत हो।

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