Tuesday, May 10, 2016

धरती और स्त्री

धरती भी स्त्री की तरह है, ऊब प्रेम से सींची जाती है तो हर तरफ बहारें बिखेरती है, जब प्रेम का मेघ नहीं बरसता तब वह बंजर ज़मीन पर नागफनी बिखेरती है....

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