धरती भी स्त्री की तरह है, ऊब प्रेम से सींची जाती है तो हर तरफ बहारें बिखेरती है, जब प्रेम का मेघ नहीं बरसता तब वह बंजर ज़मीन पर नागफनी बिखेरती है....
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