ज़िन्दगी के ख़राब दौर से उबरने के लिए सीमित साधनों, नियति और भाग्य के भरोसे छोड़ देने की एक निश्चित राशि के साथ हम यहाँ पैदा नहीं हुए हैं।
मांसपेशियों की ताक़त इतनी बढा ही लीजिये कि जो आप डिज़र्व करते हैं उसे समय , भाग्य और ईश्वर से दोनों हाथों से ले सकें और बाजुओं में समेट सकें।
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