.प्रिय...
सारी मुहब्बत ,सारे एहसास , लफ़्ज़ों में समां गए,
जब उनके ख्याल में कुछ लिखा हमने,
हवाओं से पता पूछा था,
चाँद से रौशनी मांगी थी,
उस राह क लिए
जो उनके घर जाती है,
बंद दरवाज़े पे छोड़ आये हैं हम
पैगाम अपना
दरवाज़े की झिरी से आती रौशनी के हाथ में
सलाम छोड़ आये हैं.
*****************
तुम मेरी सबसे बड़ी शक्ति
और कमजोरी भी हो।
अकेलेपन में तुम्हारी यादों की तीस
जब मथती हैं तो अपना जीवन कितना कष्टप्रद लगता है
सच कहूँ तो आदत सी पद गयी है
रोज़ आँखें धुला कर सुलाती है तुम्हारी स्मृति.
aankhe dhula kar sulana ..vahh.... smriti ka manvikaran...adwitiya hai....
ReplyDeleteTHANX
ReplyDelete