मोहब्बत की कोई मंज़िल नहीं होती। इश्क़ खुद में एक अंतहीन सफ़र है। ऐसा सफ़र जिसमे दो लोग साथ मिलकर चलते है.... लेकिन जो कहते हैं के शादी इस सफ़र का अंत है वो गलत कहते हैं।
सुनिए, शादी कोई सफ़र की मंज़िल या अंत नहीं, यह तो वो पड़ाव है जहाँ हम कुछ पल के लिए तब तक ठहरते हैं जब हमे लगता है कि यह वही साथी है जिसके साथ हमे यह सफ़र तय करते हुए ख़त्म भी करना है....!
यानी ताउम्र दो व्यक्तियों का एक होना......
( लिस्ट के उन सभी खूबसूरत जोड़ों के लिए जो एक दूजे का हाथ थामे इस सफ़र पे हैं... और जो सफ़र की शुरुआत करने जा रहे उन्हें मेरी शुभकामनायें और प्यार...)
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