Thursday, June 9, 2011

आज फिर ...
हर सांस में मेरी, तुम्हारा नाम जी रहा है,
हर बात ने तेरी, मेरी आँखों को नूर बख्शा है .....
झुकी झुकी सी पलकों ने इश्क को सलाम भेजा है...
धुआं धुआं सी वादियों ने हमे पयाम भेजा है,
रिश्तों के शहर से बाहर तो आइये ,
आवाज़ दी है मुहब्बत ने आज फिर!

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