Thursday, June 9, 2011


कुछ बिखरे हुए से सपने थे..
कुछ टूटी हुई सी यादें थीं ....
एक छोटा सा आसमान था, उम्मीदों कि एक ज़मीन थी.
ज़िन्दगी के तस्सवुर में यूँ था तो बहुत कुछ,
फिर भी हसरतों के जहाँ में कुछ कमी थी....
चंद लम्हे मिले तो एक वक़्त बना,
कुछ सुर सजे तो गीत बना,
और आपकी यादों में में ज़िन्दगी यूँ कैद हो गयी कि....
शब् - ए- गम के इक इक पल में भी मुहब्बत का निशान बन गया....
आइये अपने ख्वाबों को यूँ सजाएँ कि,
चाहत के रंग प्यार कि खुशबू , रिश्तों कि महक से खिल उठे ज़िन्दगी हमारी !!

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