कभी कभी मन करता है बहुत दूर चली जाऊं...
जहाँ एक पक्षी एक पत्ता तक न जानता हो मुझे,
जहाँ बस तुम्हारी यादों से भीगी हवाएं हों,
पैरों के नीचे तुम्हारी यादों का नर्म हरीयाल गलीचा....
और सर पर, आकाश के लाखों
सितारों कि आँखों से तुम मुझे देखते रहो......!!!
No comments:
Post a Comment