Tuesday, June 14, 2011

राजनीति..

राजनीति सम्प्रदाए मुक्त हो तो यह शुभ है.  पर धर्म शुन्य हो तो शुभ नहीं. धर्म जीवन का प्राण है. राजनीति जीवन कि परिधि से ज्यादा नहीं. और परिधि जैसे केंद्र को खोकर नहीं हो सकती है, वैसे ही राजनीति धर्म को खोकर राजनीति नहीं रह जाती.. "राज - अनीति"  बन जाती है. और यह धर्म के अभाव में भी संभव है. और आज राजनीति वही हो के रह गयी है,...
 हमने सुना कि एक सफल राजनीतिज्ञ, एक  सफल चोर, और एक सफल वकील एक साथ स्वर्ग पहुंचे. वैसे भी तीनो मित्र थे.. हैं... इसलिए मृत्यु में साथ आये...तो  कोई आश्चर्य  नहीं.. स्वर्ग के देवता ने पूछा, " सच सच कहना कितनी बार झूठ बोला है?"
"३ बार महाराज" ... चोर ने कहा.. भगवन ने उसे दंड के तौर पे स्वर्ग के ३ चक्कर काटने को कहे. वकील ने कहा, "३०० बार ". वकील को भी तीन सौ चक्कर लगाकर स्वर्ग में घुसने कि आज्ञा मिल गयी. 
लेकिन जब भगवन राजनीतिज्ञ कि और मुड़े तो राजनीतिज्ञ नदारद!!!
पास खड़े द्वारपाल से पूछा तो उसने कहा," महाराज वे अपनी साइकिल लेने गए हैं......". 

No comments:

Post a Comment