"क़त्ल" करके आये हो
और कहते हो तरन्नुम चाहिए
चलो.... बने रहो गरम तार बदमिजाज.. झाड झंखार
खेलते रहो -
मेरे कदमो से.. मेरी आहटों से..
मेरी कृतियों से , मेरी कनपटियों से...
समाई है मुझमे तेरी भी पत्नी.. तेरी माँ... तेरी बहन भी...
पर कभी न कभी.."सामा- चकेवा" खेलती औरतें..
रौन्देंगी तुम्हे..
उन ढेलों कि तरह...
फिर करवट लूंगी मैं...
गवाही मांगूंगी..
तेरी लाश से... तेरी कुकृति की !!!!
और कहते हो तरन्नुम चाहिए
चलो.... बने रहो गरम तार बदमिजाज.. झाड झंखार
खेलते रहो -
मेरे कदमो से.. मेरी आहटों से..
मेरी कृतियों से , मेरी कनपटियों से...
समाई है मुझमे तेरी भी पत्नी.. तेरी माँ... तेरी बहन भी...
पर कभी न कभी.."सामा- चकेवा" खेलती औरतें..
रौन्देंगी तुम्हे..
उन ढेलों कि तरह...
फिर करवट लूंगी मैं...
गवाही मांगूंगी..
तेरी लाश से... तेरी कुकृति की !!!!
No comments:
Post a Comment