आज फिर महकी हुई रात में जलना होगा,
आज फिर सीने में उलझी हुई साँसे होंगी !
आज फिर जागते गुजरेगी रात ख्वाबों में तेरे,
आज फिर चाँद की पेशानी से उठेगा धुआं...!!
आज फिर सीने में उलझी हुई साँसे होंगी !
आज फिर जागते गुजरेगी रात ख्वाबों में तेरे,
आज फिर चाँद की पेशानी से उठेगा धुआं...!!
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