Tuesday, October 27, 2015

सरस्वती सभ्यता

करीब पांच हज़ार साल पहले एक शक्तिशाली नदी जिसे वेदों में आमतौर पर सरस्वती कहा गया है - इस बंजर रेगिस्तान से होती हुई अरब सागर में जाकर मिलती थी। उस वक़्त यहाँ प्रचुर हरियाली और चरागाहें हुआ करती थीं।
जी हाँ! "कालीबंगा" उसी महान सरस्वती सभ्यता का भाग था। (सिंधु घाटी सभ्यता का नाम अब सरस्वती सभ्यता कर देना चाहिए। सिंधु घाटी सभ्यता इसलिए कहते हैं के सबसे पहले खोजे गए स्थल सिंधु किनारे थे।)
5000साल पहले सरस्वती भारत की सबसे शक्तिशाली नदी थी जबकि यमुना और सतलज महज उपनदियां थीं। भारतीय उपमहाद्वीप की विवर्तनिक हलचल के नतीजे में सरस्वती पश्चिम -उत्तरपश्चिम को पलायन कर गयी। उसके प्रभाव से यमुना और सतलज विपरीत दिशाओं में पलायन कर गयीं। यमुना गंगा से और सतलज सिंधु से जा मिलीं।
सरस्वती सभ्यता पूर्व वैदिक बस्ती नही थी। ये पृथ्वी पर महान वैदिक समुदाय था और इस महान सभ्यता के निवासियों ने वेद और उपनिषद लिखे थे। कालीबंगा की अग्निवेदियां उसका प्रमाण है के ये एक वैदिक बस्ती थी। कालीबंगा और मोहनजोदड़ो अहम हैं। मोहनजोदड़ो में जो स्नानागार मिला था वो अनुष्ठानिक स्नान के लिए इस्तेमाल होता था और ये वैदक उपासना की एक और बानगी था।

सरस्वती जीवित नदी थी जिसके किनारे दुर्योधन और भीम ने अपना आखिरी द्वंद्व लड़ा था।
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