उस दिन वृषभानु यमुना में स्नान कर लौट रहे थे। वहां एक सरोवर देखा जो पहले नहीं था। सरोवर के मध्य सोने के रंग सा कमल खिला था उसमे एक नवजात कन्या थी। आकाशवाणी हुई, "इस कन्या को विष्णु के आठवें अवतार की प्रियतमा बनना है। इसका पालन पोषण करें"
वृषभानु की कोई संतान नही थी सो वे अति प्रसन्नता से इसे घर ले आये। कन्या ने शुरू के पांच साल आँख नहीं खोले तो माता पिता ने दृष्टिहीन समझ लिया।
श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर नन्द ने वृषभानु परिवार को भोजन के लिए आमंत्रित किया। पत्नी और बालिका समेत बधाई देने वृषभानु नन्द के घर गए। 5 वर्षीय वृषभानु कन्या ने अब तक अपने नेत्र बन्द रखे थे सो अचानक अपनी आँखे खोलीं और आँखों ने जो पहली छवि देखी वह कृष्ण की थी!
कन्या राधा थीं...!
Wednesday, October 28, 2015
राधा का आना
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