Monday, November 7, 2016

रेखा- इश्क़ की अधूरी दास्ताँ

..... इसके आगे की अब दास्तां मुझसे सुन,
..... सुन के तेरी नज़र डबडबा जायेगी...
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आगे की दास्ताँ क्या सुनियेगा...? कुछ कहानियाँ अपने अधूरेपन में ही चार्म लिए होती हैं.... पता नहीं पूरा करने में क्या क्या खोना पड़ जाता है क़िस्मत को.....😊
... कुछ ऐसी ही इनकी कहानी शुरू हुई और एक रहस्य बन गया ....
...पूरे चाँद  की रात जब सारी घरती को भिगो रही थी तब इनकी आँखों की सीप में इक चेहरा मोती बन कर क़ैद हो गया कभी न आज़ाद होने के लिए...
निगाहों के पहरे कसे और जज़्बातों की गिरफ्त ढीली पड़ गयी....
और.... और.... जब रिवाज़ ख़ामोशी ओढ़ते हैं तब आँखों की खामोशियाँ चाहत की ज़मीन तलाशती हैं....

".... एक बादल उधर से चला झूम के
   देखते देखते चाँद पर छ गया
चाँद भी खो गया उसकी आग़ोश में
उफ़ ये क्या हो गया जोश ही जोश में..... "

- हाँ ऐसे ही इश्क़ बादल बन कर आया और बरस कर चला गया ...... लेकिन चाँद का क्या?
अरे! मैं बकवास करने में बड्डे विश करना भूल गयी... 😂😂😂
हैप्पी वाला बड्डे रेखा जी...💐💐💐🎂🎂

#मोहब्बत #की #अधूरी #दास्ताँ #रेखा...

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