Thursday, November 3, 2016

Quality love

मैं और मेरी फ्रेंड बच्चों को स्कूल से लेने गए तभी एक बच्ची ने अपनी एक क्लासमेट को दिखाते हुए मेरी फ्रेंड से कहा, " Aunty Your son loves her n want to marry her but she loves another boy who is taller and fairer than ur son..... n second thing that boy brings nice lunch also, not like your son's boring tiffin....."
मुझे  आश्चर्य हुआ और खूब हंसी भी आई, उसके  Sentence पर और बोलने के शिकायती मासूम तरीके पर। ये 6 - 7 साल के छोटे बच्चे भी लव etc समझने और जताने लगे हैं। हमने थोड़ी देर उससे बातचीत करके उसे समझाया और आश्वस्त किया कि तुम्हारी फ्रेंड जैसा चाहती है वैसा ही होगा, और नेक्स्ट टाइम से हम भी बच्चों को complan पिलाएंगे ताकि वे भी tall हो सकें, फेयर होने के लिए फेयर & लवली भी लगाएंगे, और बोरिंग टिफ़िन भी नहीं देंगे। भई बनते बिगड़ते रिश्तों का सवाल है। बच्ची खुश होकर चली गयी प्यार से बाय बाय भी किया।
घर आकर मैं सोच में पड़ गयी कि उम्र के हरेक पड़ाव पर होने वाला इश्क़ सच में " क्वालिटी" की डिमांड करता है। ऑप्शन बेटर हो तभी दिल ठहरता है।  हरेक केस में तो नहीं पर 99% केस में यही होता है कि आकर्षण ही पहला स्टेप है किसी के प्रेम में होने का। अट्रैक्शन लुक से लेकर  बोलने बतियाने की कला, या फिर व्यक्ति की कोई खूबी ही... कुछ भी हो सकता है।
हाँ दिल ठहरा है तो वहां से उठ कर आगे भी बढ़ जाता है। यही नेचुरल भी है, आकर्षण और रिश्तों की अपनी मियाद होती है, एक उम्र होती है। सबसे बड़ी बात हमारे बनाये फ्रेम में हर कोई फिट नहीं होता। ठोंक पीट के हम कर भी लें तो एक दिन या तो फ्रेम टूटेगा या फिर तस्वीर गिरेगी।

(रूहानी इश्क़ या  शिद्दत से निभाया प्रेम बाकी बचे 1% में आता है..जहाँ शायद आकर्षण गौण होता हो।)

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