Tuesday, February 7, 2012

बचपन में माँ बहुत कहानियां सुनाया करतीं थीं... बहुत सारे कभी कभी तो एक ही कई कई बार...! १० साल पहले एक राजस्थान की लोक कथा सुनाई थी उन्होंने . ठीक ठीक याद नहीं पर कहानी कुछ यूँ थी....
" एक राजा का दिल खूबसूरत सी पनिहारिन पे आ जाता है,जो उस से उम्र में काफी छोटी थी. राजा उसे घर ले आता है. और रानियों कि तुलना में उसका ज्यादा ध्यान रखता है.(ख्याल रहे ,पहले रानियों की 'संख्या'को 'स्टेटस सिम्बल' से जोड़ा जाता था).
फिर भी उसे हमेशा ये डर लगा रहता था कि कहीं ये उसे छोड़ के भाग न जाए..! तो एक मित्र की सलाह से उसने सुनार बुलवा के एक जड़ाऊ भारी सी "झांझ' उसके पैरों में डलवा दी ताकि कहीं भी आने जाने से उसकी आवाज़ कान में पड़ती रहे. पनिहारिन भी खुश कि राजा मुझे इतना प्यार करते हैं कि इतनी कीमती चीज़ मुझ गरीब को दी है... इसलिए चलने में कठिनाई होने पर भी वो कुछ न कहती..!
समय बीतता गया अब राजा को यकीन हो गया कि पनिहारिन उससे बड़ा प्रेम करती है. इतने भारी जेवर से लडखडाती भी है तो उफ़ तक नहीं करती, अब ये उसे छोड़ कर न जायेगी.... सो उसने वापस सुनार को बुलवा के झांझ उतरवा दिया...!!
दूसरे दिन पनिहारिन राजमहल से गायब!! भाग गयी...!!!
... कुछ दिनों बाद एक बांदी ने उसे गांव में देखा अपनी सहेली से वो कह रही थी..." अरी! राजा ने तो बड़ा प्रेम किया मुझसे...इतनी कीमती झांझ जाते ही दी,.... बड़ा भरोसा था.. और एक दिन उसका भरोसा कैसे खत्म हुआ री, कि मेरी पाजेब उतरवा ली??"
"क्या यही प्रेम था सखी?"
"......." ................ कहानी खत्म...!!!!!!

किसी को यकीन हुआ.... किसी का भरोसा टूटा!!!!!!
आपको????

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