Friday, March 9, 2012

खिंच न सका चीर , दुश्शासन जो हारा ..
सभा बीच भगवन है तेरा सहारा......!
साड़ी के धागों में तुम जा छुपे हो...
इसी से ये साड़ी बढ़ी जा रही है.........!!!

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