Saturday, March 17, 2012

देखो तनिक न दुखइयो मोरी कलईया
श्याम तनिक न दुखइयो , मोरी कलईया  रे...
सुघड़ गोरी मोरी बहियाँ...!

सब सखियाँ मिलि घेर के बैठीं
बीच भये बनवारी....
आपन  आपन देत कलाइयाँ
सखियाँ बारी बारी...
हंस हंस बात  करे सबसे
वृंदा-विपिन -बसईया रे...
चित्त ले गया सावरा कृष्ण कन्हैया रे...!

सब में मोरी पहचान कलाई
धरे कन्हाई कस के..
छोटी सी चूड़ी पहनावे
बांह दबावे कस के!
मैं तो रोवन लागी कह के मईया मईया रे...
चित्त ले गया सावरा कृष्ण कन्हैया रे...!
सुघड़ गोरी मोरी बहियाँ... !

टूट के चूड़ी  हाथ  में गड़ गयी..
डरन  लागे बनवारी...
झट से मोरी छोड़ कलईया
भाग गए बनवारी!
इधर मैं भई दीवानी
उधर श्याम  दीवाना ....
मोसे ऐसे बात करन को
ढूढे रोज बहाना...
सब जन प्रेम की तोरी
करन लगे कवितईया रे ..!
जो चित्त ले गयो साँवरा कृष्ण कन्हैया रे...!सुघड़ गोरी मोरी बहियाँ... !

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