Thursday, March 1, 2012

चलो अँधेरी रात में सहर ढूंढते हैं..
नदी  की  रेत पर कोई लहर ढूंढते हैं..!

हर तरफ खड़ा है जो  ज़हर का हिमालय,
ज़हर काटने को चलो, ज़हर ढूंढते हैं...!

ओज़ोन का दरकना ठीक नहीं  है शायेद,
बचाने को चलो, कोई डगर ढूंढते हैं...!

क्या खबर होगी  कल के सूरज की ,
आज की खबर में चलो, खबर ढूंढते हैं..!

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