Tuesday, December 6, 2011

वही तो है आशकी सरुरे निशाते रहती हो जिसमे हरदम
हो गम का अहसास जिसमे पैदा, वह आशकी आशकी नहीं है...!!

वही तो है बंदगी फक़त जो तेरी खुशी के  लिए अदा हो...
तलब कि जिसमे हो लाग कुछ भी वो बंदगी बंदगी नहीं है....!!!

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