वही तो है आशकी सरुरे निशाते रहती हो जिसमे हरदम
हो गम का अहसास जिसमे पैदा, वह आशकी आशकी नहीं है...!!
वही तो है बंदगी फक़त जो तेरी खुशी के लिए अदा हो...
तलब कि जिसमे हो लाग कुछ भी वो बंदगी बंदगी नहीं है....!!!
हो गम का अहसास जिसमे पैदा, वह आशकी आशकी नहीं है...!!
वही तो है बंदगी फक़त जो तेरी खुशी के लिए अदा हो...
तलब कि जिसमे हो लाग कुछ भी वो बंदगी बंदगी नहीं है....!!!
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