Saturday, December 31, 2011

नवयुग में युग धर्म का यह नूतन आकार
सरस्वती को अपमानित कर, लक्ष्मी का सत्कार
भय लज्जा को त्याग निरंकुश , खुलकर अत्याचार
चाहे जिस बल कौशल से, सत्ता पर अधिकार
सिर्फ युग-धर्म दुहाई देकर , लोक विरुद्ध सुधार
हरिभक्तों को फांसी देकर हरिजन का उद्धार
किया निरिक्षण इस युग का, यही रहा मेरा शोध..
नव युग है "भ्रष्टों" का युग , हुआ यही आत्मबोध!

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