नश्तरे जुबां हमे वो इस खूबी से चुभा गए,
ता उम्र उसकी दवा को हम ढूंढते रहें या रोते रहें...
चादर हमारे ख्वाब की वो फटेहाल बना गए...
धागे उनके ख्याल के हम पिरोते रहें या सीते रहें.....!!
ता उम्र उसकी दवा को हम ढूंढते रहें या रोते रहें...
चादर हमारे ख्वाब की वो फटेहाल बना गए...
धागे उनके ख्याल के हम पिरोते रहें या सीते रहें.....!!
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