Saturday, December 31, 2011

नश्तरे जुबां हमे वो इस खूबी से  चुभा गए,
ता उम्र  उसकी दवा को हम ढूंढते रहें या रोते रहें...

चादर हमारे ख्वाब की वो फटेहाल बना गए...
धागे  उनके ख्याल के हम पिरोते रहें या सीते रहें.....!!

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