.....तीसरी मंजिल की वही खिड़की मैं खोल के रखती हूँ जहाँ से चाँद मेरे सिरहाने तक आता है....
सुनो, मैंने चाँद को आज कह दिया है कि जब तक तुम न आ जाओ वो यूँ हीं मेरी खिड़की से आया करे और तुम्हारी खुशबू मेरे कमरे में बिखेरता रहे......!
सुनो, मैंने चाँद को आज कह दिया है कि जब तक तुम न आ जाओ वो यूँ हीं मेरी खिड़की से आया करे और तुम्हारी खुशबू मेरे कमरे में बिखेरता रहे......!
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