Wednesday, October 23, 2013

मुद्दतों की तिश्नगी थी, और सामने था मयकदा ...
... .........प्यास तो बुझ गयी पर हमी ना रहे.......!

(जहाँ अपेक्षाएं रहेंगी वहाँ प्रार्थनाएं पूरी नहीं होंगी...)

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