मुद्दतों की तिश्नगी थी, और सामने था मयकदा ...
... .........प्यास तो बुझ गयी पर हमी ना रहे.......!
(जहाँ अपेक्षाएं रहेंगी वहाँ प्रार्थनाएं पूरी नहीं होंगी...)
... .........प्यास तो बुझ गयी पर हमी ना रहे.......!
(जहाँ अपेक्षाएं रहेंगी वहाँ प्रार्थनाएं पूरी नहीं होंगी...)
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