........ शाम के धुंधलके में , गली में मेरा हाथ पकड़ कर तुमने इक चाँद का टुकड़ा मेरी हथेलियों पे रख बंद कर दिया....
मैंने पूछा, "क्या है ये"?
तुमने कहा, "मुहब्बत........"!
और बहुत तेजी से तुम चले भी गए........... ये तो कल ही की बात थी !!
मैंने पूछा, "क्या है ये"?
तुमने कहा, "मुहब्बत........"!
और बहुत तेजी से तुम चले भी गए........... ये तो कल ही की बात थी !!
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