"आज़ादी अभिव्यक्ति की मिली हमे जो आज
वैधानिक अधिकार है, क्यूँ न भला हो नाज़
क्यूँ न भला हो नाज़, किसी को कुछ भी कह लें,
"सीता जी" क्यूँ कहें "राम की जोरू" कह लें
कहते हो तो कहा करें कोई बकवादी
"बछिया के ताऊ " समझें क्या है आज़ादी..."
.
वैधानिक अधिकार है, क्यूँ न भला हो नाज़
क्यूँ न भला हो नाज़, किसी को कुछ भी कह लें,
"सीता जी" क्यूँ कहें "राम की जोरू" कह लें
कहते हो तो कहा करें कोई बकवादी
"बछिया के ताऊ " समझें क्या है आज़ादी..."
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