Tuesday, August 9, 2016

जूता

श्रीराम को वनवास और भरत जी को राजगद्दी मिली थी। भरत वन में श्रीराम से मिलने गए जिसमे मुलाक़ात से ज़्यादा वो राजनीति की सूक्ष्मता समझा गए। राजमुकुट की जगह खडाऊं ले जाना उनके राजनीतिज्ञ होने का प्रमाण देती है।
सत्ता और शासन  में एक खास वर्ग को खड़ाऊं (जूतों) का भय बहुत ज़रूरी है। राजनीतिज्ञ भरत इस बात को अच्छे से जानते थे कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं। 😁😁 इसलिए उनका राज्यकाल ही शायद रामराज्य के नाम से विख्यात था। सुचारू रूप से 14 वर्ष उन्होंने राजकाज चलाया।
और श्रीराम अगर राजदंड अच्छे से समझते तो इतने कॉन्ट्रोवर्सी में नहीं आते। पहला दंड धोबी को मिलना था। खड़ाऊं पद्धति से!
वर्तमान राजनीति में एक शासक की ज़रुरत पहले है ' मर्यादा पुरुषोत्तम' सिर्फ उपदेशक रहें तो बढ़िया।

** क्षमा के साथ।
श्रीराम और भरत सिर्फ उदाहरणार्थ।

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