एक बार भी ये ना सोचना कि तुम जो मेरे लिए सोचते हो वो मुझे नहीं पता चलता... जो तुम्हारे पास है उसे मुझसे बांटना मेरे लिए बहुत है....अपनी खुशिया अपने गम, अपना सिंगार और अपना भ्रम, अपना प्यार और अपनी बेचैनी भी मेरे साथ बांटो....मै सब चाहती हूँ...
मै तुम हूँ!
मैं सूर्योदय मैं ही सूर्यास्त हूँ..मैं चाँद मैं अग्नि .. इसका प्रकाश इसकी गर्मी.... मुझे विषय और मस्तिष्क से कभी अलग मत करना...
मैं सब हूँ!
सभी में मैं हूँ......!
(इन् प्रवचन मूड..)
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