Monday, August 15, 2016

तीन रंग आज़ादी के

धूमिल ने कहा था के आज़ादी तीन थके हुए रंगों का नाम है जिसे एक पहिया ढोता है।
नहीं... नहीं... आज़ादी तीन थके रंग नहीं धूमिल जी, आज़ादी वो तीन शोख और चटख रंगों का मेल है जो हमारी नस नस में ऊर्जा का प्रवाह करता है। पहियों के ज़माने से निकल चुके हम अपनी ऊर्जा और ताक़त अपने पंखों में भर आकाश का विस्तार नापेंगे...।
हाँ! चक्र के नीले रंग को मैंने अभी चुरा लिया है, छुपा लिया है।

(-शाम हो चुकी है अब तिरंगा संभाल के सम्मानपूर्वक रख दें, अपनी DP से भी...😊)

जय हिंद!

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