फेसबुक पंगों से तंग आकर 'ताऊ' ने प्रोफाइल डीएक्टिवेट कर दी। 'ताई' का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। बड़े अच्छे से चैट करी उन्होंने अंग्रेज़ी मिश्रित हिंदी में। दिल खुश हुआ कि वो ताई जो दो वर्ष पहले मुश्किल से दस्तखत करना सीखी थी आज 'टेक सैवी' बन गयीं। मन ही मन टेक्नोलॉजी को धन्यवाद दिया।
आज सवेरे उन्हें कॉल कर के बधाई दी और ख़ुशी ज़ाहिर की तो ताई ने बताया, "बिटीया, आग लगे फेसबूकवा को, ये तेरे करमजले ताऊ की करतूत है। हमको रोज़ फेसबुक दिखाते हैं सबके फोटो और चुटकुले सुनाते हैं हमरी फोटो भी लगाते हैं और कहते हैं के, ' देख हंसा की अम्मा तेरे में कितनी खबसुरती है कि बेटों के उमर के छोकरे तुझे पसंद करते हैं'.....और खुद छोकरियों से ताई बन बतियाते रहते हैं..हमरे बस का ई सब नही बबुनी.."
-ये कोई अजूबा नहीं। ऐसा होता ही रहता है। आपके आसपास भी ऐसे कई ताऊ होंगे ही। मुझे ताई की ईमानदारी पसंद आई कि कम से कम उन्होंने अंधी पत्नियों की तरह पति के सुर में न सुर मिलाया न गलती छुपाई। सचमुच 'करमजला 'ताऊ...!
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