Tuesday, July 10, 2012


पार्क से निकलते वक्त, अचानक उस कुत्ते की  दुम पांव के नीचे आ गयी,
मैं चीखी, "ओह आई ऍम सॉरी..."
कुत्ते ने कहा,"इट्स ओ के..., डोन्ट फील सॉरी.
मैं ही गलत जगह बैठा था."
मैंने कहा,"अरे, तुमने काटा नहीं? शराफत भी दिखाई,
क्या तुम थोड़े कम कुत्ते हो?"
कुत्ता मुस्काया, बोला.."ये तो बड़ा एब्सर्ड स्टेटमेंट है मोहतरमा...
कुत्ते कमज़ोर होते हैं, ताकतवर होते है, बीमार होते हैं, स्वस्थ होते हैं,
सुंदर और असुंदर होते हैं....
पर कुत्तेपन में फर्क नहीं होता..
-फर्क तो आदमियों में आदमियत की होती है..
हमारे पास च्वाइस नहीं , सिर्फ  डिसीजन है...!
हमारा भूत वर्तमान भविष्य सब एक जैसा ही है...
'व्हिच इस पॉसिबल, इस एक्चुअल',
इंसानों कि एक्चुअलिटी  पोसिबिलिटी नहीं होती...
आप बदल सकते हैं कल भी आज भी...
आप में कम इंसानियत भी होती है ज़्यादा भी....
'और जानती हैं फैक्ट क्या है,
आपने अपनी यात्रा पशु से शुरू की थी,
और उस यात्रा का एक्सपीरिएंस आपके साथ होता है...
हम कल भी पशु थे आज भी है कल भी रहेंगे...!
एंड यू मस्ट नो कि, पशु डाइमेंशनल रस्ते में होते हैं,
हमारे कुत्तेपन की  कोई च्वाइस नहीं , जितने कि
इंसानों में, इंसान होना और बने रहना'
.... गुड बाई...."....
और धूल झाडकर वो कुत्ता चला गया....
'हाँ! मेरी ही आँखों से....'!

No comments:

Post a Comment