Sunday, July 8, 2012


- बच्चों आज तुम्हारे लिए, रश्मि दीदी की तरफ से.... :)

' सिन सिनाती बुबला बू....
मेले से लाया बिट्टू...
ढम -ढम ढोलक बाजा बीन,
गाँधी जी के बंदर तीन.
सुनकर भालू की खड़ताल,
नीलू-पीलू हैं बेहाल.
उनका घर है टिम्बकटू
सिन् सिनाती बुबला बू.....'

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