Tuesday, July 24, 2012


यहां से कोई रास्ता आगे नहीं जाता..
जा भी नहीं सकता.. क्यूंकि,
आगे भविष्य के कब्रिस्तान की शुरू हो चुकी सीमा है...!
-अतीतों की तरह बेजान होते जाते भविष्य की...!

और (तुमसे) अपेक्षाएं... जैसे,
साबुन के बुलबुले...
-आकर्षक, रंगीन पर क्षणजीवी...!

हाँ अंधे मोड भी देखो , दोनों तरफ
-और  घूरता हुआ भौचक्का वर्तमान..!

पर जब तक पांव है, उनके साथ जुडी है चलते रहने की
एक परिहार्य 'विवशता...'
आगे पीछे बंद रास्ते,
..अंधे मोड..
वक्र..
अबूझ..
असमाप्त...!
बस, यहाँ से कोई रस्ता आगे नहीं जाता...!

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